कोरोना भैया और “जय श्री राम”…….

आज कोरोना भैया ने हमेशा की तरह सपने में आते ही कहा “और का हाल बा” और जोर से बोले “जय श्री राम” ! मैं भौचक्का रह गया ! मैंने कहा ‘यह क्या भैया’ ! हम सब में इतना ‘समां’ जाओगे ?

आँखे निकालते हुए बोले “हमने तो तुमसे पिछली बार ही कहा था कि तुम्हारे यहां टुच्चई क़िस्म की राजनीति है ! अब ‘राम’ पर देखो तुम लोगन ने का तमाशा रचा ! “मित्तरों” ने तो साष्टांग प्रणाम कर राम जी को ‘जमा’ दिया ! लेकिन सत्यानाश हो तुम लोगन का ! मैंने कहा क्यों – क्या कर दिया !

भैया बोले ” रत्ती भर तमीज नाहीं , वह बेचारे सडवानी ,दोशी , कल्याण , रूमा -दीदी , विनय -बजरंगी तुम सबै को भुलाय दीने ! अरे पूरे भारत में “सोमनाथ से अयोध्या” की यात्रा करी ! गला, शरीर, आँखे सब राम जी के नाम दे दी – गोड़ छिला लिए जवानी राम जी को दे – बुढ़ापा ले आये और मुंह पर “डबल लेयर अंगोछा” बाँध पहुँच गए “मित्तरों” साष्टांग प्रणाम , दंडवत कर राम जी को लुभाने !

बहुत श्राप लगेगा, हम बताये दे रहे हैं ! यह अच्छी बात नहीं है ! मित्रों की तो आदत है ! वाह- वाह लूटनी हो तो आगे , गड़बड़ हो तो “पप्पू” पर थोप दो 70 साल का बही खाता लेकर ! पता नहीं जिस दिन मंदिर बन जायेगा उस दिन सर के बल साष्टांग न करें तो हमारा नाम नहीं ! बाकी सब तो तब तक निकल लेंगे, बस ऊपर से देखेंगे तमाशा !

कभी थाली पिटवा लो , कभी मोमबत्ती – कभी दिया और नहीं तो राम जी के नाम पर पटाखे दगवा लो! देखा नहीं “डबल मास्क” चिपकाये थे कि हम कहीं से घुस ना पाएं ! हमने ‘मोटा भाई’ का तो काम लगा ही दिया था , नहीं तो पता नहीं और बड़ा नाटक हो जाता! हरकती कम नहीं हैं अस्पताल से भी ‘शोनिया जी’ का 14 अगस्त को काम लगा सकता है! पता नहीं “सचिनवा” को स्थापित करने के लिए क्या-क्या चालें चल रहा है !

हम 60,000 के आस पास घुस रहे हैं और तुम सब नाच गा रहे हो , पठाके फोड़ रहे , क्या हो गया है तुम लोगों को ! कोरोना- वोरोना बहाना है ! अब जब १३० करोड़ के ऊपर हो तो नंबर एक पर तो रहना ही है !

बाकी कितना समझा लो, असर तुम लोगों के होना नहीं ! मना किया था कि “रक्षा- बंधन” पर घर के बाहर न निकलना ! क्या ऑनलाइन राखी नहीं मना सकते थे ! मिठाई की दूकान पर ऐसे भीड़ लगा रखी थी जैसे भाई एक ही दिन में एक किलो मीठा खा जाएगा ! बाबा ने बकरीद नहीं मनाने दी तो क्या ! रक्षा बंधन पर खुली छूट “वोट बटोरने की राजनीति”- तुम लोग समझ नहीं पाते और हम “निरक्षर” सब करतूत जानते हैं! सब निकल पड़े स्कूटर और कारों में बहन से राखी बंधवाने ! गज़ब है भाई ! अब देखो तुम्हारे लखनऊ में ही हम 700 के आस-पास रोज ठोंक रहे हैं !

भैया एक ही सांस में बोले जा रहे थे ! हमने कहा पानी पी लो ! गला सूख रहा है तुम्हारा ! बस हमें जो बरगलाना था कह दिया ! एक हफ्ते से भरे बैठे थे !

हमने कहा ‘चिन -पिन को होम वर्क दिखाया ! भैया बोले अरे हम तो बताना ही भूल गए ! “अंतराष्ट्रीय राजनीति पर अध्ययन के लिए हमको गोल्ड मैडल मिला है” ! ‘चिन -पिन’बोले तुम्हारी तो इंडिया पर पकड़ हमसे भी बेहतर होती जा रही है ! उनको सबसे ज्यादा “टुच्चई राजनीति पसंद आई” ! मुस्कुरा कर बोले “दरअसल खुद चिन -पि’यही करता है न !

हमने कहा “क्वारंटाइन” से बाहर निकले ! भैया बोले अब क्वारंटाइन से हमको “स्पेशल सेल” में कर दिया गया है ! अब यह स्पेशल सेल क्या है ? वैज्ञानिकों ने हमारे अंदर आयी मजबूती और अनुभव देखकर कहा है हम लोगों को “सलाहकार” के रूप में रखा जाये ताकि अंतराष्ट्रीय स्तर की प्लानिंग में हमारा दखल बना रहे ! एक तरह से हमारा प्रमोशन समझो ! रिटायरमेंट को ‘चिन -पिन’ मना कर रहा है ! अरे तुम्हारे यहाँ 60 के ऊपर ‘सलाहकार’ या “एमेरिटस” बना देते हैं ! बस वैसा ही ओहदा हो गया है!

हमने कहा अरे “चुन -चेन” का क्या हाल है ! अब पहाड़ों पर चक्कर लगा लो !

“न बाबा न” , भाई बोले ! मैंने कहा क्यों !

“हम तो डरा गए हैं जब से सुतान्त और पिया खरबर्ती के बारे में पढ़ा है ! गजब की औरतन हैं तुम्हारे यहां ! फंदा भी लगवा दी और 15 करोड़ भी पार ! अब जब हम चुन -चेन के बारे में सोचते हैं तो पता नहीं सामने हमारे पिया खरबर्ती का चेहरा आ जाता है और हमको कुछ नहीं बस का “फंदा” दिखता है, आज कल हम चुन -चेन को अवॉयड कर रहे हैं ! आगे रिश्ता जारी रखे या नहीँ , इसी उलझन में हैं ! चुन -चेन मिलना तो बहुत चाह रही है हमउ का मन नहीं कर रहा ! धड़कन बढ़ जाती है !

हमने कहा सुना है कोई “टिक-वायरस” तुम लोगों ने फैला दिया है ! बोले अब तुमको तो बताया ही था चिन -पिन के बारे में कि हरकती बहुत है ! सोच रहा है इससे पहले हमको उड़ाने की वैक्सीन बने , दूसरा तैयार करो ! उसी की कोशिश कर रहा है !

अब वैसे तो सुना है अपने “पुत्ती- चाचा” हमारे ख़िलाफ़ पहली वैक्सीन 12 अगस्त से शुरू कर रहे हैं ! सब हाथ धोकर पीछे पड़े हैं ! चाहे ‘ट्रम्पवा’ हो , या अपना ‘बोरिस’ या तुम्हारे ‘मित्तरों’ सब पिले पड़े हैं कि हमको ठोंक दें ! ठुकना तो है ही लेकिन मुंह सिक्कड़ू के चुनाव तक हम न हटने वाले ! अब देखो पहले तुम्हारे मित्तरों ने “टिक-टाक” बंद किया था , अब मुंह सिक्कड़ू ने भी इसको “टिक-ऑफ” कर दिया !

हमने कहा चिन -पिन की इतनी चिंता तुमने कब से शुरू कर दी ! अरे भाई प्रमोशन किया है तो कुछ तो ‘आधिकारिक’ रूप से बजानी पड़ेगी ! तुमने वह कहावत नहीं सुनी – “मुंह खाता है आँख शर्माती है”!

भैया बार बार अपनी घड़ी देख रहे थे तो मैं पूँछ ही बैठा क्या चेन से मिलने का टाइम हो रहा है !

बोले तुम क्यों जले पर नमक फेंक रहे हो ! हमने बताया कि अब हम उससे डरने लगे हैं !

यह बताओं “अच्छे- दिन” कब शुरू हो रहे हैं ! हमने कहा “तुम्हारे रहते अच्छे दिन” ! हम लोग तो “अच्छे दिन” भूल गए- वह तो बस “मित्तरों” की बातें हैं ! वह तो अपने “अच्छे दिन” अभी शायद 2024 के आगे भी देख रहे हैं !

अरे हमारा मतलब अच्छे दिन “शादी ब्याह” के लिए !

किसकी शादी है ?

तुम तो सब भूल जाते हो !

अरे बताया नहीं था हमरे चचेरे भाई “सार्स” की मंगनी “इबोला की लड़की से तय हुई थी ! अब शादी भी तो होगी ! अम्मा -बाबूजी का फ़ोन आया था ! कह रहे थे तुम सब आओ- तब धूम धड़का करें !

हमने तुमको बताया था कि हम “मामा बनने वाले है ! ! Measles बहना के होने वाला था ! कुटिल मुस्कराहट के साथ बोले , “अब जो चिन -पिन टिक वायरस बना रहे हैं – वही तो है !

हमने कहा इसका नाम “टिक- वायरस” क्यों रखा है ! बोले “टिक -टॉक” बंद होने से खिसिया के चिन -पिन ने यह नाम रखा है !

हमने कहा इस बार तो केवल तुम ही बोले , हमारी जो बजा रखी है, हमको बोलने ही नहीं दिया ! बोले जरा अम्मा – बाबूजी से बतिया लें उनको शादी ब्याह के बारे में सलाह मशिवरा करना है !

अगले हफ्ते तुम बोलना ! अच्छा बाय -बाय !

Sanjay Mohan Johri

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