कोरोना भैया- तुम मेरी Diary में हमेशा रहोगे ! ख़ुदा-हाफ़िज़

का ‘छोटे’ भुला दिये का ! दो हफ्ते से चक्कर काट रहे ! ‘लिफ्ट’ ही नहीं मिल रही ! हम तो डराए घूम रहे हैं कि क्या बात-चीत खत्म , दोस्ती तोड़ दिये क्या ! यह कह कर वह बिस्तर के नीचे बैठ गए !

हाँ ! कल रात कोरोना भैया सपने में आए और दो हफ्ते बाद मिलते ही सवालों कि झड़ी लगा दी !

मैंने कहा अब आ गए हो तो बैठो !

“आ गए हो तो – क्या मतलब ? उन्होने चौंक कर पूछा ! क्या अब मुलाकात नहीं होगी” !

नहीं ऐसा कुछ नहीं तुम तो घूम ही रहे हो और घूमते रहोगे ! तुमसे क्या रोज चक-चक करी जाय ! भारत प्रेम तो तुम्हारा देख ही लिया है, मैंने कहा !

बोले हाँ यह तो अपना देश है ! बस जब तुमसे मुलाकात नहीं हुई तो हम USA की तरफ निकल लिए और ‘टृंपवा’ में घुस ही लिए और घुसे तो ‘हाहातूत’ करके उसके सारे “दरबारियों” में एक-एक करके सबको ढ़ेर कर दिया ! सब बगैर मास्क के छाती चौड़े घूम रहे थे ! हमें तो उसका घमण्ड चूर करना था ! अब पड़ा है मिलिट्री अस्पताल में ! भैया के “घुसने पर मुझे धर्मेंद्र का प्रसिद्ध डाइलॉग कुत्ते तेरा खून पी जाऊंगा” , याद आ गया!

बोले चिन-पिन मतलब अपना ‘रंगा’ तो बहुत ही खुश है ! हम सब को बुलाकर ‘ग्रांड–पार्टी’ दी ! चमगादड़ के सूप से दावत शुरू करी ! हमने कहा हाँ तुम्हारे यहाँ तो जानवरों का बाज़ार फिर शुरू हो गया है ! बोले हमारे यहाँ चिन–पिन जो करता है, खुल कर करता है ! उसको ज्यादा खुशी इस बात की है “मुंहसिक्कडु” के चुनाव में सेंध लगा दी है ! चिन-पिन तो हार चाह ही रहा है ! हमारे घुसने पर कमजोर भी पड़ेगा और प्रचार में भी फर्क पड़ेगा !

लेकिन टृंपवा को समझना आसान काम नहीं ! इसके पास जो दांव है ,बाइडेन पकड़ भी नहीं पाएगा!

हमने कहा अच्छा बाकी दो हफ्ते से कहाँ घूम रहे थे !

कहीं नहीं हमारा तो ठौर इंडिया ही है बस समझ लो तीन दिन कंट्रोल रूम में बैठ कर अमेरिकन टीम से संपर्क साधना था ! मुंहसिक्कडु और उसके दरबारियों को घेर कर घुसना था ! थोड़ा पेचीदा काम था , निपटा दिया !

दरअसल एक हफ्ते तो हम तुम्हारे ‘गोल- दरबार’ के अंदर घुसे रहे ! हमारी टीम ने तीन लेयर में काम किया ! तुमको तो पता है कई तो “धोती–धारी”हमने बाहर ही घेर लिए थे, अंदर ही नहीं आ पाये ! जो बच गए वो अगले दिन घर से दरबार तक नहीं पहुँच सके ! बाकी कई मंत्री-संतरी तो दरबार में शामिल ही न हो पाये !

एक तरह से हम ‘मितत्रों’ का काम कर रहे थे ! वह कैसे , मैंने पूछा !

अरे जब दरबार में पूरे नहीं होंगे तो अपनों से हल्ला–गुल्ला करवा कर जो चाहे करवा लो और मितत्रों ने करवा भी लिया ! खुद तो शक्ल दिखाने कम आए,बाकी लंबू ‘पान नाथ सिंह’ ने निबटाया ! ‘मोटा भाई’ में तो हम कई बार घुस के उनको फुस्स कर चुके हैं !

फिर बाहर बबाल मचता है तो मचने दो ! अपना पप्पू और शोनिया जी तो विदेश उड़ लिए थे ! पप्पू अभी लौटे हैं ! बेचारा क्या करे आकर सांस भी न ले पाया बहना त्रियंका के साथ हाथरस कांड पर पेला-पेली करनी पड़ी !

भैया बोले हमको हंसी तो तब आई जब वह बोला “मैं काथरस पैदल जाऊंगा” ! अरे यह विलासिता की ज़िंदगी जीने वाले पाँच किलोमीटर चल लें इनके गोड़ पिरा जाएंगे !

भैया बोले और यह तुम्हारे यहाँ क्या हो रहा है ! ‘काथरस’ में लड़की जला दी ! हर तरफ बलात्कार हो रहा है ! अरे तुम सबसे अच्छे तो हम जीवाणु और जानवर है ! संस्कार का पालन करते हैं ! ऐसे शर्मनाक काम नहीं करते !

उधर देखो ‘पिल्ली’ के दंगो में 17,000 पेज की रिपोर्ट ‘पिल्ली–पुलिस’ ने तैयार करी ! क्या पूरे Lockdown भर यही खुराफात करते रहे ! हे, “कोरोना माई” इन सब का नाश पीटो ! किसी को फसाने के लिए इतनी बड़ी रिपोर्ट ! किसने टाइप करी होगी यह बकवास रिपोर्ट और होना हवाना कुछ है नहीं बस पिल्ली दंगो को तुम्हारे यहाँ की गंदी राजनीति के लिए जिंदा रखना है !

पता नहीं हमारी “पहेनजी” कहाँ गयी बिलकुल चुप्पे हैं ! का मितत्रों ने ज्यादा फंसा दिया है !

“एक हमको फिया चक्रवर्ती पर बहुतेही  तरस आ रहा ! अरे या तो उसे बापू कामा राम के पास छोड़ देते ! अकेली कोठरिया में का फायदा ! अब तो तय हो गया की पुतान्त अपनई इच्छा से लटके रहें ! पता नहीं बिहारी बाबू कुपतेश्वर कांडे काहे चिल्लावत रहें ! पुलसिया नौकरी छोढ़ चुनाव में कूद गवा ! गज़ब बा !

काफी देर तक भरभराने के बाद भैया बोले तुम बतावों और का हाल बा ! हमने कहा तुमने हमको तो बचा रखा है लेकिन तुम हमारे एक रिश्तेदार में घुस ही लिए ! भैया तपाक से बोले क्या बुढ़ऊ हैं ! मैंने कहा यह क्यों क्यूँ पूछ रहे हो !

बोले जरूर कुछ न कुछ बीमारी रही होगी नहीं हम तो बस “छू” के ही निकल रहे हैं और बुखार वुखार लाकर छोड़ रहे हैं ! बाकी छोटे भाई दोस्ती तुम से करी है – खानदान से नहीं !

मैंने कहा बस तुम्हारा यही कमीनापन हमको तुमसे दूर कर रहा है !

बोले दूर क्या हमें तो खतम हो जाना है ! बस चिन-पिन जब तक घुसाए रखे ! मैंने कहा सुना है –दूसरी फसल तैयार हो गयी है ! यूरोप में तो लोग और डरेहुये हैं !

बोले हाँ इंग्लैंड में तो दुबारा Lockdown लग गया है ! तैयारी तो है , अब जितना घुस पाएँ ! पुतती चाचा ने तो वैक्सीन चला दी है ! तुम्हारे यहाँ भी बहुत तेज से मितत्रों तैयारी करवा रहे हैं !

देखो त्योहार आ रहे हैं ! जरा बच कर रहना ! हम अपनी आदत से हैं बेकार ,घुसेंगे तो जरूर!

बाकी बात रही हमारी-तुम्हारी दोस्ती की तो वह बने रहने दो ! आना-जाना लगा रहना चाहिए ! यही रिश्तों को मजबूती देता है ! मैंने कहा ठीक है ! तुम मेरी Diary में हमेशा रहोगे ! कभी सपनों में फिर आना ! स्वागत करूंगा !

ख़ुदा-हाफ़िज़

नोट : कोरोना भैया सीज़न -1 का इस एपिसोड से समापन करते हैं और जल्दी ही एक नए सीज़न में मुलाकात होगी नए अंदाज़ में !

Sanjay Mohan Johri

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