कोरोना भैया – बच्चन को तंग मत करना , श्राप लगेगा…

सपना तो तभी आएगा जब आप सो जाएं और कोरोना भैया से तभी मुलाक़ात होगी ! कल कोरोना भैया ने सपने में आते ही पूछा क्या तुम ‘शुक्रवार’ को सोये नहीं ! “हम तो तुम्हारे ‘सिरहाने’ ‘तकिये’ के नीचे बहुत देर तक इंतज़ार करते रहे की तुम सोओगे- तभी बात हो पायेगी ! मैंने कहा “भाई दो दिन से क्या खाना – क्या पीना और क्या सोना” ! बोले क्यों क्या ‘उपवास’ और ‘ध्यान’ पर हो ! मैंने कहा नहीं हमारे यहां ‘ऑनलाइन- परीक्षा’ की तैयारी चल रही है ! “बच्चों के साथ समझ लो हम भी एक प्रकार की ‘परीक्षा’ दे रहे हैं ! प्रैक्टिस चल रही है “ ! मैंने कहा दिन रात उथल पुथल रही , दरअसल तनाव अपना कम बच्चन का ज्यादा ! बस जैसे-तैसे इन बच्चन को हम निपटाने में लगे हैं ! बेचारे डिग्री ले ले! भैया बोले तो “क्या बच्चन को घर से बाहर निकलोगे”! मैंने कहा नहीं वह भी ‘वर्क फ्रॉम होम’ में घर से ही परीक्षा देंगे ! कोरोना भैया बोले हम बता दे रहे हैं तुम बस समझ लो , “बच्चन को तंग मत करना” ! वैसे ही बेचारे हमारी वजह से तनाव में हैं , तुम लोग और तंग मत करना , “हम श्राप दे देंगे” ! भैया बोले “बच्चन को काहे परेशान करत हो – जोड़ -घटाना कर फार्मूला लगाओ और चलता करो” ! हमने कहा नहीं हम “प्रजातान्त्रिक देश” हैं ! “सबका साथ- सबका विकास” ! बोले हमार ‘चिन -पिन’ जोड़ -घटाने और जुगाड़ के अलावा कुछ नहीं करता ! दादागिरी और दिखावट है ! बोले किसी से कहना मत ! पिछले हफ्ते जब हम वुहान गए थे तो वीडियो कांफ्रेंस में चिन -पिन कह रहे थे कि हमको तो बस इस ‘ट्रम्पवा’ की बजानी है ! विश्व में नंबर एक बनना है ! हम हर तरह से इस ‘मुंह- सिकड़ु’ से निबटना है! देखो यह गलवान घाटी में जो चल रहा है न बस दिखाने भर का है ! चिन -पिन अंतरष्ट्रीय खबरों में बने रहना चाहते हैं ! अंदर ही अंदर तुम्हारे ‘मित्तरों’ से डरते भी हैं क्योंकि भई तुम्हारे में दम तो है ही ! कुछ पता नहीं कब “बालाकोट” कर दें ?? बोले “और … का हाल बा”! मैंने कहा ‘आप बताओ’ !! मैंने थोड़ा आक्रोशित होते हुए पूछा यह तुम्हारा ‘इरादा’ क्या है ! तुम थमने का नाम ही नहीं ले रहे – कल तुम 20,000 में घुस लिए ! साढ़े पांच लाख में अब तक तुम घूम – घूम कर बजाये हुए हो ! पिछली बार चूँकि कूटे गए थे तो थोड़ा नरम होकर बोले ” देखो हमको दोष मत दो, हम आदेश लेकर आये हैं- घुसने के लिए ! जुलाई का टार्गेट 25000 -30000 रोज़ घुसने का है ! भैया बोले तुमको शायद यह बात नहीं पता वुहान में हर ‘कैटेगरी’ के कोरोना हैं ! तुम्हारे वाले की ‘मारक क्षमता’ हलकी है और दूसरा तुम मजबूत भी लगते हो ! सो हम घुस तो रहे हैं लेकिन बुखार -वुखार देकर निकल लेते हैं ! हमने पुछा तो क्या जुलाई के बाद हलके पड़ जाओगे ! बोले हमारी भी तो मारक क्षमता की एक ‘हद’ है ! जैसे -जैसे उम्र ढलेगी हम भी कमजोर पड़ते जायेंगे ! दुनिया हमको निपटाने में तो लगी ही हुई है! हमने बताया ही था तुम्हारा ‘काढ़ा’ घुसने के बाद हमको बहुत तकलीफ देता है , और पता नहीं कौन कौन सी दवा बन रही हैं ! कुछ सोचते हुए बोले “एक दिन तो सबको ही जाना है ! बुढाने पर पहले ‘हवेली’ फिर जब तक सांस में सांस ! मैंने सोचा पिछले हफ्ते की कुटाई से काफी कमजोर और दार्शनिक से हो गए हैं ! बोले पिछले हफ्ते ‘कुटाई’ के बाद हम अम्मा- बाबूजी के पास फिर ‘हवेली’ चले गए! अब तुमसे ‘इबूब्रूफेन’ मांग कर तो खायी ही थी लेकिन “तुम्हार लोगन की पिटाई की वजह से गोड़ और गर्दन बहुत पिराये रहत ! हमिन सोचे थोड़ा आराम करा बा”! भैया बोले तुमको तो बताया था ‘वर्क फ्रॉम होम’ होने पर भी हेडक्वार्टर्स से बुलाये गए थे सो हमने कहा बस तीन दिन का और वर्क फ्रॉम होम बचा है ! अम्मा बाबूजी के पास खड़े खड़े ही जा पाए थे तो थोड़ा उनके पास बैठने से उन लोगों का मन हल्का हो जाता है, वहीँ निकल लिए ! बदन भी पिरा रहा था और थोड़ा तुम लोग से डर भी गए थे तो हमने कहा “हवेली-पुश्तैनी” है और ‘चिन -पिन’ ने सुरक्षा भी मजबूत कर रखी है , हो लें ! पिछली बार बुआ और ताऊ के पास कहां बैठ पाए थे !! मैंने चौंक कर पूछा “क्या वह भी वहीँ रहते हैं” ! बोले अरे पिछली बार तुमको बताया नहीं था अपने भाई-बहिन के बारे में – “चेचक भैया , Measles दीदी , इबोला भैया– डेंगू भाई, ‘सार्स’ और ‘HIV’ भैया , ! सब भरा पूरा परिवार है , हवेली है ! देखो अम्मा बाबूजी बुढ़ा तो गए ही हैं ! गठिया भी है ! लाठी पकड़ चलत हैं ! बोले “बचवा और कुछै दिन हलाहल कर लो फिर तो चिन -पिन तुम्हउ को यही पठा देंगे ! अब चिन -पिन ने इतना तो किया ही है कि इन सबने इतनी सेवा करी है – पेंशन नहीं दे सकते तो जब तक जीवन है , खाते -पीते तो रहें ! फिर गए कोठरी की तरफ ताऊ -चाचा- बुआ से मिलने ! अरे भाई घर परिवार में रहो तो रिश्ते भी तो निभाने रहते हैं ! मैंने कहा आप लोगों में रिश्ते ?? तुमको नहीं पता ‘सहालग’ जब चलती हैं तो शादी-ब्याह होता है , सो परम्पराएं तो हमारे परिवार में भी हैं! एक तो हमारा ‘सयुंक्त- परिवार’ मतलब ‘ज्वाइंट- फॅमिली’ है ! अम्मा-बाबूजी के साथ चाचा -ताऊ – बुआ सभी तो रहती हैं ! तीन महीने बाद सार्स भैया की मंगनी है और हम मामा भी बनने वाले हैं ! मैं भैया की बातों से चकरा सा गया ! बोले मंद बुद्धि के हो क्या ! अरे बताया नहीं था सार्स हमरे चचेरे भाई हैं और उनकी मंगनी तय हो गयी है ! मैंने कहा किनसे ?? बोले “इबोला की लड़की” से ! मैंने कहा “इबोला भी तो भाई हैं आपके” ! कोरोना भैया बोले हमारे यहां उलट-पलट भाई बहनो के बच्चों में ही होती है क्योंकि हैं हम सब ठहरे “वायरस -परिवार” के ! चिन – पुन को तुमने कच्चा खिलाडी समझा है ! वुहान की प्रयोगशाला – चमगादड़ महिला और चिन -पुन ; समझ लो सारा ‘जाल बट्टा’ इन्हीं के बीच का है ! हम तो बस कटपुतली हैं ! यहां से वहां नाचते रहते हैं ! हमने पूछा “मामा बनने वाले हो क्या मतलब” ??? बोले Measles बहना के होने वाला है ! लड़का हो या लड़की होगा तो “वायरस” ही और हमने तुमको बताया था कि वुहान में प्रयोग चल रहा है एक नए वायरस को जन्म देने का ! कुटिल मुस्कराहट के साथ बोले , यही तो है! बस पैदा होने की देर हैं ! पहले हम इसका प्रयोग करेंगे – अपने यहां लाख खांड मारेंगे और फिर छोड़ दिए जायेंगे, आक्रमण के रूप में ! अब हमको तो मुंह और नाक से घुसेड़ा गया है , यह नया वायरस कहां से घुसेगा यह तो ‘चमगादड़ महिला’ जाने ! “हो सकता है इसका रास्ता नीचे से दे दें” ! मैंने कहा इतने सांसारिक हो , रिश्ते निभा रहे हो तो अब तो हवेली में रौनक होगी ! भैया ने घड़ी देखि और बोले भई मेल चेक करने है , अब कुछ काम करने दो ! बाकी बातें बाद में बोले सुबह भी होने वाली है ……

Sanjay Mohan Johri

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