कोरोना भैया सीज़न-2 में हर जगह घुस रहे…

बस अभी-अभी नींद लगी ही थी, ज़ोर से आवाज़ आई अरे भाई कहाँ रहे तुम“ कई दिनो से मिलबे न करी, हम तो तुम्हार खोपरिया पर घन्नाते रहे लेकिन तुम सपने में घुसने ही नहीं दे रहे थे?

यह अपने कोरोना भैया थे…हमने कहा, अरे भाई तुम फैल रहे थे सो हम डर के मारे बाहर निकल लिए थे! दरअसल हम सब ‘बौरा’ गए हैं क्योंकि तुमने तो सीज़न -2 में सबको घनघना के रख दिया है! इतनी मारम-मार तो ‘मिर्ज़ापुर -सीज़न -2’ में भी नहीं थी!

तुम्हारा तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा! महाराष्ट्र से शुरू होकर गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और अपने उत्तर प्रदेश, कुछ छोढ़ ही नहीं रहे! पाँच चुनाव वाले राज्यों को क्यों छोड़ दिया है? क्या ‘टैगोर रूपी मितत्रों’ से दोस्ती कर ली है?

सुनो! बकबक बंद करो! देखो हम ‘सीज़न -2’ में सब जगह आए हैं! पाँच चुनाव वाले राज्यों में भी हैं लेकिन मितत्रों ने जब तुम्हारे मीडिया पर रोक लगा रखी है तो हम क्या करें! चुनाव खुलने दो फिर रिपोर्टिंग सामने आएगी! तुम लोग जबर्दस्ती हमारे ‘चिन-पिन’ को भला बुरा कहते हो कि हमारे यहाँ सब कुछ ‘गवर्नमेंट’ के ‘काबू’ में है, तुम्हारे यहाँ मितत्रों ने तो उससे ज्यादा गदर मचा रखी है! मितत्रों और ‘मोटा-भाई’ का एक ही फंडा है! जैसा वह कहे वैसा करो, नहीं तो देश द्रोह में अंदर!

दरअसल तुम्हारी ‘नौकरशाही’ लाजबाब है! ‘ससुर के नाती’ कर कुछ नहीं रहे बस जेब अपनी भर रहे दोष हमको देते है! सीज़न -1 में बहुत माल काटे हैं! हम तो इस बार लाखों कि संख्या में फैले हैं जब ‘टेस्टिंग’ ही बंद कर दी है तो ‘अंडर-रिपोर्टिंग’ तो होगी ही! सभी ‘पैथोलॉजी’ को तो तुमने टेस्टिंग से मना कर दिया है! पॉज़िटिव को नेगेटिव और नेगेटिव को पॉज़िटिव– झूठी रिपोर्ट दिलवा रहे हो ! कहीं ऑक्सिजन नहीं तो कहीं दवा नहीं! पूरा ‘खेला’ बनाकर रख दिया है! चुनाव करवा लो या हम से निबट लो!

आम आदमी मर रहा पर इस बार एकहु मंत्री नहीं निपट रहा! यह अलग बात है सब घर में पड़े हैं क्योंकि हम तो उनमे घुस ही चुके हैं! बस बता नहीं रहे!

हमने पहले ही कहा था तुम्हारे यहाँ ‘राजनीति कुत्ती’ चीज़ है! अब वैक्सीन को लेकर राजनीति करी जा रही है! अरे भाई जब जनसंख्या का तुम्हें पता है तब काहे का तमाशा मचाए हुये हो! दिल्ली का डॉक्टर फुलेरिया ठीका बोलत बा! किल्लत तो जान भूझ कर की जा रही है! मितत्रों का नाटक फिर शुरू – कभी ‘टीका-उत्सव’ मना रहे हैं तो कभी ‘दीदी’ को पिटवा रहे! बगैर सांस लिए भैया बोले जा रहे थे हमने कहा थोड़ा गम खाओ नहीं तो तुमको ऑक्सिजन कि जरूरत न पड़ जाए! चलो सत्तर नंबर कि चाय पियो और थोड़ा सुस्ता लो! थक गए होगे घुस-घुस के!

चाय सुड़कते हुए भैया बोले यह बताओ तुम्हारे यहाँ यह चुनाव आयोग को क्या हो गया है! बिलकुल आँख पर पट्टी बांध ली है क्या, लगता है इसके मुखिया को भी राज्यसभा का टिकिट मिल जाएगा! हमने पूछा क्यों क्या हुआ!

अरे बोले देखो बंगाल में क्या हो रहा है! मोटा-भाई बगैर मास्क के रोड-शो कर रहा है– सीधा सीधा नियमावली का उल्लंघन! मैंने कहा ठीक कर रहे हैं क्योंकि निर्देश सत्ता पक्ष पर लागू नहीं होते!

भैया बोले ठीक बा क्योंकि तुम्हारे नेतन-सांसद-विधायक सब नपुंसक से हैं! ऐसे नेतन का क्या फायदा कि हमरे डर से सब घर में घुस गए! बस वैक्सीन ठुकवा के अपने दरवे में बैठ गए! हमने कहा वैक्सीन का फ़ायदा भी क्या लोग तो तब भी पीड़ित हो रहे!

भैया बोले नहीं असर कम रहेगा! तुमने और भौजी ने तो लगवा ली है, बूस्टर डोज़ भी लगवाना?

अच्छा कल हमको तुम्हारी यूनिवर्सिटी के एक फैकल्टी ने फोन करके बताया कि अत्याचार हो रहा! मैंने कहा ‘अत्याचार’ – क्या बात कर रहे हो! हमारी यूनिवर्सिटी ने तो ‘लौक-डाऊन’ में सबको तंख्वान दी बस छुट्टी खतम कर दी यह कहकर कि घर पर रहे तो एक प्रकार से हॉलीडे ही तो मनाया! हाँ यह अलग बात है बहती गंगा में हाथ धो कई से जय राम जी भी कर ली!

भैया बोले हमने तो देखा तुम तो 18 घंटे काम कर रहे थे! कई रात तो तुम जागते ही रहे और हम सपने में नहीं आ पाये! हमने कहा हमारी जिम्मेदारियाँ ज्यादा हैं! बोले नहीं फैकल्टी बोल रहीं कि घर बैठ कर काम करवा रहे हैं और चालीस परसेंट तंखवाह काटी जा रही लेकिन काम में कोई राहत नहीं!

हमने कहा सीधी सी बात है ‘मथुरा’ में रहना है तो ‘राधे-राधे’ करना है नहीं तो चलो निकलो! अब हम इस विषय पर बात नहीं कर सकते! किसी ने सुन लिया तो हमारी भी दुकान बंद! हम भी डरे हुये हैं!

अच्छा उसी फैकल्टी ने बताया कि इम्तहान होने कि वजह से लोगन को ड्यूटि पर बुला रहे हैं! घर से क्यों नहीं! दरअसल तुम्हारे यहाँ लोग औंधी खोपड़ी के हैं! मैंने कहा “नो कमेंट”!

ठीक है हमारा भी सोशल मीडिया है, हम यह मामला वहाँ उठाते हैं! हमने कहा उससे क्या होगा! अरे खबर पहुँचने दो, कुछ न कुछ बात बनना चाहिए!

अच्छा हमने कहा तुम बताओ तुम्हारा प्लान क्या है! बोले प्रकर्ति का नियम है चढ़ाई के बाद उतार! अभी तो चढ़ रहे हैं, देखो चिन-पिन क्या योजना बनाता है!

तुम्हारे यहाँ तो जैसे ही ‘चुनाव खतम, ‘जय श्री राम’ शुरू! तुम्हारे बाबा की भी ‘पिद्ध’ निकली हुई है! ‘पंचायत-चुनाव’ सर पर है और फिर 2022 दूर ही कितना है! हम तो पूरे प्रदेश का भ्रमण कर चुके हैं! आज ‘बाबा’ हों या ‘मितत्रों’, कोई भी कैसा चुनाव करवा ले, समझो ‘डब्बा गोल’ है! ‘पप्पू’ न जीतेगा लेकिन लोगों में गुस्सा इतना है कि तुम ही खड़े हो जाओ जीत पक्की!

अब हमको देखना यह है कि बंगाल चुनाव के बाद मितत्रों टैगोर वाली दाढ़ी कटवाएँगे या बनी रहेगी! टैगोर के बाद हो सकता और कोई नया स्टाइल आ जाय!

हमने सोचा कुछ भी हो कोरोना भैया का विश्लेषण है जबर्दस्त!!!

Sanjay Mohan Johri

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