कोरोना भैया से “चुन -चेन” बिछड़ी…

कोरोना भैया से कल सपने में वीडियो कॉल के माध्यम से बातचीत का यह तीसरा दौर था क्योंकि वह लगातार ‘क्वारंटाइन’ में चल रहे हैं ! दरअसल यह तीसरा हफ्ता था और इस बार वह बहुत परेशान और झुंझुलाये से लगे ! मैंने जब पूछा ‘और का हाल बा’ तो उत्तर में परेशानी और घबड़ाहट दोनों थीं ! पहले तो कुछ देर बोले नहीं तो मुझसे रहा नहीं गया ‘क्या हो गया भाई – कुछ तो बोलो’ ? “देखो एक तो हम बहुत परेशान हैं और दूसरा पिछली बार तुम हमें जाते-जाते डांट गए थे कि चुप रहो ! मत कहना भूल से हमारा लखनऊ ! तुम कब से लखनऊ के हो गए ! यह शहर तहज़ीब से रहने वालों का है, तुम जैसे जानवरों से निकले वायरस का नहीं ! कभी शकल सूरत देखी है आईने में” ! जब से तुम यह बोल कर गए हो यह वाक्य हमारे दिल में बैठ गया हैं और बस समझ लो रह-रह के यही ख्याल आ रहा कि क्या हमारी दोस्ती टूट जाएगी ! मैंने कहा आतंकवादी से दोस्ती क्या ! तुम घुसने में तो कोई कसर छोड़ नहीं रहे ! 50,000 ‘रोज’ पर पहुँच गए हो , कहां ख़तम होगे समझ नहीं आ रहा ? रही गुस्से की बात तो गुस्सा तो हम हैं लेकिन दोस्ती में गुस्सा -प्यार दोनों चलता है ! अभी इतना दूर की मत सोचो ? हमने कहा और क्या टेंशन है जो घबड़ाये लग रहे हो ! “अरे भाई समझो पिछले हफ्ता सूखा गया” ! मैंने चौंक कर कहा “चुन -चेन” के होते हुए भी ? हम तो सोच रहे थे प्यार इतना गहरा रहा है कहीं यह हमारी “करोनाइन -भौजी” न बन जाये ! शर्माते हुए बोले अभी वहां तक नौबत नहीं आयी है ! भाई बोले दरअसल ‘चिन -पिन’ की इधर ‘बजी’ हुई हैं ! मैंने पुछा क्यों बोले ‘हुबेई प्रान्त जिसमे वुहान आता है वहां भयंकर बाढ़ आयी हुई है ! बोले ‘हजारन’ डूबे पड़े हैं और पता नहीं कितने मर गए ! हमने कहा तो इसमें ‘चिन -पिन’ के इतना परेशान होने की जरूरत क्या है !

हमारे यहां ‘बंगाल- मुंबई’ में तूफ़ान आया या ‘बिहार -असम में बाढ़, हमारे “मित्तरों” तो हमेशा की तरह मस्त हैं और अंगोछा बांधे घूम रहे हैं ! बस हवाई जहाज से दौरा करने जाते हैं और ‘दूरबीन’ लगा कर ऊपर से देख कर लौट आते हैं ! अगर सरकार अपनी तो ख्याल थोड़ा ज्यादा , दूसरी पार्टी की हो तो जाये ‘भाड़’ में ! भाई चिल्ला कर बोले नहीं -नहीं हमारे चिन -पिन को बाढ़ से परेशानी नहीं है उसको चिंता है “कहीं उसकी पोल न खुल जाये” ! मैंने कहा कैसी पोल ? बोले ! दरअसल में यह बाढ़ आयी नहीं हैं , लाई गयी है ! मैंने कहा ‘बाढ़ लाई भी जाती है ! बोले अब इनकी बजी हुई तो है ही, यह सोच रहे हैं इससे पहला WHO की टीम वहां का मुयायना करे, यह वहां में बाढ़ लाकर सारे ‘सबूत मिटा’ देना चाहते हैं की “हम यहीं पैदा किये गए और फिर यहां से पूरी दुनिया में छोड़े भी गए घुसने के लिए” ! अब ‘मुंह- सिक्कदु ट्रम्पवा’ को तो तुम जानते ही हो इस बात का सुराग लगते ही उसने वुहान के आस-पास खुफ़िआ तंत्र चौकस कर दिया है और चिन -पिन टेंशन में आ गया है ! हम सब रातों-रात क्वारंटाइन से उठा दिए गए और दूर कहीं ले जाकर पटक दिए गए हैं ! अब इस उठा-पटकी में “चुन -चेन कहीं और रवाना कर दी गयी हैं और रुआंसे होते हुए बोले फ़िलहाल हम बिछड़ गए हैं! बस पूरे हफ्ते से हम दोनों अलग हैं, सन्नाटे में चल रहे हैं ! हाथ में केवल Mobile और I Pad का सहारा है ! उधर ‘मुंह सिक्कदु ट्रम्पवा’ ने ‘ह्यूस्टन’ में चीन का ‘वाणिज्य दूतावास’ बंद करके ‘चिन -पिन’ को और बौरा दिया है ! साथ में हमारे सभी खुफिआ वैज्ञानिकों की अमेरिका में धर-पकड़ तेजी से हो रही है ! यह हफ्ता हमारे चिन -पिन बाबू के लिए समझो बहुत भारी पड़ा है ! घर में पंडित बुला पूजा -पाठ भी कराएं हैं कि कुछ शान्ति मिले ! भाई बोले इधर हमने न्यूज़ देखा तो मालूम पड़ा कि इंग्लैंड में हमको मारने के लिए “वैक्सीन अच्छा काम कर रही है” ! और तुम्हारे यहां भी तो “ट्रायल” शुरू हो गया है ? बस समझ लो हमारी उल्टी गिनती शुरू , राहु- शनि दोनों साथ ? हमने कहा खबर सब रखे हो ! बोले अरे हाँ सुन रहे तुम सबको राम- लला फिर याद आ रहे ! मित्तरों 5 अगस्त को राम जी के मंदिर स्थापना के लिए अयोध्या जा रहे हैं ! मैं चुप रहा यह सोचकर अब इनका न्यूज़ बुलेटिन शुरू ! बोले मान गए तुम लोगों को ! एक तरफ 50000 रोज संक्रमित होकर 13 लाख पार कर रहे हो दूसरी तरफ ‘मित्तरों’ गमछा पहन अपने राम जी के नाम पर फिर पाखंड कर रहे – गजब है ! उधर राजस्थान में ‘शोनिआ जी’ को नचाये हुए हो ! बेचारे का एक पैर जयपुर – राजस्थान हाई कोर्ट में और दूसरा दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में – भागा- भागा घूम रहा है ! ठीक तो कह रहा है “सारे निर्देश ऊपर से आ रहे हैं “ ! सब जानते हैं “मोटा भाई” को और “मित्तरों” तो कुछ बोलता ही नहीं ! अब देख लेना धोती पहनू अपने पंडित जी महाराज मतलब “लाट साहेब” कानून विशेषज्ञों की के नाम पर ‘शोनिआ जी’ को टहलाते रहेंगे और तब तक ऊपर से काम लग जायेगा ! सुप्रीम कोर्ट तो तुम्हारा अपना है ही! अब विधायकों को भी देखो या तो पांच सितारा होटल में रहे या फिर बस से इधर-उधर नाचते रहे! चिन -पिन जैसी जैसा टुच्चई पना तुम्हारे यहां भी चल रहा है! मैंने कहा पूरी दुनिया ही राजनीती का एक रंगमंच है और हम सब इसके पात्र हैं ! तुम भी तो वही हो ! मैं भी कुछ बगैर सोचे बोल गया “आदमी जन्म से अपराधी नहीं होता ,परिस्थितियां उसे बना देती हैं” ! भाई बोले “जे लाख पते की बात कह तुमने हमरे दिल को ठंडक दे दी ! हम क्या जन्म से ऐसे थोड़े ही थे ! हमको ऐसा चिन -पिन बनाये हैं” ! ख्यालों में जाते भाई बोले “आतंक का अंत एक दिन तो होता ही है हमारा भी होगा लेकिन कहावत पुरानी है – समय से पहले और मुक्कदर से ज्यादा न किसी को कुछ मिला है न मिलेगा” ! बस मन कर रहा है इससे पहले हमको आगे के आदेश मिले , हम चुपके से ‘चुन -चेन’ के साथ किसी हिल -स्टेशन पर जा मौज कर आयें ! आगे का क्या भरोसा ! मैंने कहा तुम तो कह रहे ‘चुन -चेन’ बिछड़ गयी है ! बोले अरे हमने भी सात जनम की कसमे खा ली हैं ! वह जल्दी हो मोबाइल से संपर्क करेगी ! अब इतना बुरा भी न सोचो हमारा ! बात चल ही रही थी कि भाई का फ़ोन घननाने लगा ! उछल पड़े , बोले देखा ‘चुन -चेन’ का फ़ोन है ! बोले बातें बहुत हैं लेकिन अब आज की बात यहीं ख़तम करो ‘चुन -चेन’ से बतियाँ लें ! एक हफ्ता हो गया तड़प रहे हैं , अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले हफ्ते तुमको भी इनसे मिलवाएंगे …….

Sanjay Mohan Johri

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