कोरोना भैया – हम जूता-पैंट पहनना भूल गए हैं ………

कोरोना भैया इस बार वीडियो काल पर नहीं सपने में साक्षात थे ! थके और पके दोनों थे ! बोले “ज़रा चाय पिलाया जाई- थक गए हैं हम” – “चिन -पिन” की ड्यूटी बजा-बजा के ” ! हमने कहा क्या “स्पेशल -आइसोलेशन” से बाहर आ गए ! भाई जब से हम चिन -पिन के ‘एडवाइजर’ हो गए हैं तुम तो जानते ही हो बस “पोस्ट” ही है नाम की , काम तो “बैल की तरह” लेता है यह मोटा ! बोला दौरा करके आओ ! हमने कहा कहाँ भेजे गए ! दरअसल चिन -पिन घबड़ा गया है ! “पुत्ती -चाचा” ने वैक्सीन क्या लांच कर दी है बोला “तुरंत मास्को पहुंचो और वहां से इंडिया की हवा भर लो देखो हालत कैसे हैं ! बोला बहुत आराम कर लिया -अब पहले जाओ “मास्को” ! पुत्ती की ‘वैक्सीन’ का ‘सैंपल’ लेकर ‘कोरियर’ करो फिर – इंडिया की तरफ उड़ लो ! पहले अयोध्या की ‘बटालियन’ जो पड़ी है , उसको साहस देना कि लगे रहो ! मौका मिलेगा क्योंकि मंदिर तो अभी शुरू ही हुआ है ! “जरा सी असावधानी हुई और दुर्घटना घटी” ! फिर 12 तारीख की तुम्हारे यहाँ ‘जन्माष्टमी’ थी तो हम ‘मथुरा’ निकल लिए ! वहां हमको पता था ‘भोपाल दास’ डेरा जमाये हुए हैं ! हम घुस लिए उनमे ! अब पड़े हैं वेदांता में ! हमने कहा अच्छा यह बताओ पांच महीने हो गए तुम ‘मित्तरों’ में नहीं घुस पाए ! दरअसल तुम लोग को इसका राज़ कभी मालूम भी नहीं पड़ेगा ! हमने कहा “राज़” ! बोले तुम लोगों को पता है इनको “कोरोना -मैया” का आशीर्वाद प्राप्त है ! फरवरी में यह यह निकल लिए थे हिमालय पर्वत – गुफ़ा में चुपके से कम्बल ओढ़ा और धूमि लगा कर वहां “कोरोना -मैया” का आवाहन किया ! ‘मैया’ ने इनको आशीर्वाद दे दिया है कि कुछ भी हो जाये हम इन तक न पहुँच पाएंगे ! हमने कभी कोशिश भी तो “मैया ने आँखे निकाल कर इशारा कर दिया” ! अब ‘मैया’ तो हमारी भी “आध्यात्म देवी” है ! हम क्या कर सकते हैं ! बोले ‘और का हाल बा’….. हमने कहा 65000 के ऊपर ठोक रहे हो रोज़ , अब हालत इससे बदतर और क्या हो सकते हैं ! हमने कहा देखो –“हम बहुत गुस्से में भरे बैठे हैं पिछली बार केवल तुम बोले थे , हमको बोलने ही नहीं दिया , इस बार हमारी “भड़ास” सुन लो नहीं तो हम एक बार “कुटाई” करवा चुके हैं , अब इस बार हड्डी-पसली तोड़ कचूमड़ निकल देंगे ! चिन -पिन ढूंढ़ता रह जायेगा कि तुम हो कहाँ ? अरे भाई गुस्सा मत करो , तुम बोलो हम सुन लेंगे ! हमको मालूम है जाना ही है हमको एक दिन ! अच्छा गुस्सा छोड़ो पहले यह बताया जाए “हमार भौजी का हाल कैसा बा ” ! हमने कहा ठीक हैं “ज़ूम -काल” पर दिन भर लगी रहती हैं ! अच्छा तुम खूब बोलो “एक चाय और बनवा दो थोड़ी पत्ती मार के” ! हमने कहा –“तुम बुढ़ौती में क्या क्या नए शौक पाल रहे हो” ? अरे भाई मित्तरों के देश में आये हैं ! चाय तो बनती है एक बार नहीं कई बार ! ‘मित्तरों’ ने तो अपना कैरियर ही यहीं से शुरू किया था ! गली -गली बेरोजगार -तुम्हारे यहाँ सब चाय -बंद-मक्खन ही तो बेच रहे हैं ! फिर तुमने अपनी बकबक शुरू कर दी ! हाथ पर ऊँगली रख कर भैया बोले “अच्छा लो चुप हो गए” ! हमने कहा “तुम चाहते क्या हो ! पांच महीने हो गए हम जूता पहनना भूल गए है ! हफ्ते में दो बार घर में पहन कर प्रैक्टिस कर रहे हैं कि कहीं भूल न जाएं ! पैंट कमीज तो शायद लग रहा हमारा पहनावा ही नहीं था ! सारा दिन नेकर -बनियान पहने घूमा करते हैं ! अरे तुमको क्या बताएं अभी एक दिन ऑनलाइन कार्यक्रम में टाई पहन कर बैठना था ! हम तो नीचे नेकर ही पहने रहे ! कौन पकड़ पायेगा ! टाई तो ऊपर लगी ही थी ! लेकिन कितनी असभ्यता का प्रतीक है ! खुद ही शर्मा गए सच पूछो तो पैंट पहनने में सुरसुरी छूट जाती है ! अब अंदर की बात क्या बतायें अंडरवियर पहनना ही भूल गए हैं ! सिकुड़े पड़े अलमारी में मानो पूँछ रहे हों – पहनोगे कि नहीं या फिर बाद में पौछा में दाल इस्तेमाल करोगे ! कपड़ो में समझो फफूंद लग रही है ! घर का पालतू कुत्ता रोज़ घूर कर देखता है मानो पूँछ रहा हो “क्या रिटायर हो गए या कर दिए गए ! एक दिन हमने उससे कहा समझ लो ‘मित्तरों’ वाले अच्छे दिन तुम्हारे लिए आ गए हैं ! बाजार जाने में डर लगता है पता नहीं तुम कहाँ बैठे मिल जाओ ! तुम्हारे चक्कर में लगता है हम सब अपना अस्तित्व भूल गए हैं ! हर समय मॉस्क लगाए रहो तो “चश्मीश” होना बेकार क्योंकि “मुंह की भाप” चश्मे पर आ जाती है! इस चक्कर में हमारी आँखे और कमजोर हो रही हैं ! अभी डॉक्टर से पुछा तो बोलै स्क्रीन टाइम बढ़ जाने की वजह से यह हो रहा है ! हमारी क्लास के बच्चों का तो तुम कुछ पूछों नहीं ! रोज पूछ रहे ! हम कैंपस दुबारा वापस कब जायेंगे ! सर आँखे कमजोर हो रही हैं , कमर गर्दन में दर्द बढ़ गया है ! दरअसल में लड़का- लड़किन की मिलने का भी तो मन कर रहा है ! पांच महीने से एक दुसरे को देखा नहीं ! हमने कहा अरे मिलोगे तो फायदा क्या ! मुंह पर तो मास्क लगा होगा ! तो मालूम है क्या बोले सर आई टॉनिक ही ले लेंगे ! मौका मिला तो गले भी मिल लेंगे ! होता है तो हो कोरोना ! अब बताओं कितनी तकलीफ है ! हमारे यहाँ डॉक्टर कम्बख्त इतने ‘डरपोक’ हो गए हैं कितकलीफ होने पर दिखाने की बात करो तो कहते हैं बुखार -खांसी न हो तभी देखेंगे नहीं तो कोरोना का टेस्ट कराकर आओ ! अरे कम्बख्तों बुखार खांसी होने पर ही तो डॉक्टर के पास जायेंगे ?? अब कल हमारे पड़ोसी बाथरूम में गिर पड़े और हड्डी टूट गई तो डॉक्टर बोलै “हड्डी तो हम जोड़ देंगे लेकिन हमको कोरोना हो गया तो उसका इलाज कौन करेगा , पहले कोरोना टेस्ट करा कर आओ”! अब बताओ फजीहत कर रखी है तुमने कि नहीं ?? भैया बोले हम सुन रहे हैं “अच्छा एक कड़क चाय और हो जाये”- सर पिरा गया है तुम्हारी सुनते- सुनते ! हमने कहा तुम्हारी भौजी “ज़ूम कॉल” से ‘फ्री’ हो गयीं हैं बना देंगी ! हमको बहकाओं नहीं ! देखो सुनाने को तो हमारे पास भी बहुत है ! तुम तर्क करो हम वितर्क क्योंकि हम अपनी मर्ज़ी से तो कर नहीं रहे ! करवाया जा रहा है ! अब हमारा जबाब अगली बार तुमको मिलेगा !

अब निकलने दो – अम्मा बाबूजी से भी मिल ले ! शादी ब्याह का घर है ! पिछली बार जब बात हुई तो बोले कि “शनि और केतु” तीव्र के हो रहे हैं तो “हम लोगन के घर शादी ब्याह तुम्हारी तरह अटक रहीं हैं “!

हमने कहा अरे “चुन -चेन” को साथ नहीं लाये !“न बाबा न , भाई बोले ! सुतान्त और पिया खरबर्ती हमारे अंदर घुसे पड़े हैं ! हमको चेन और पिया खरबर्ती में कुछ फ़र्क़ ही नहीं लगता ! चुन -चेन तो लगता है मिलने को तड़प रही है ! अभी टाल आये हैं !

अब निकलने दो – अम्मा बाबूजी से भी मिल ले ! शादी ब्याह का घर है ! पिछली बार जब बात हुई तो बोले कि “शनि और केतु” तीव्र के हो रहे हैं तो “हम लोगन के घर शादी ब्याह तुम्हारी तरह अटक रहीं हैं “!

हमने कहा अरे “चुन -चेन” को साथ नहीं लाये !“न बाबा न , भाई बोले ! सुतान्त और पिया खरबर्ती हमारे अंदर घुसे पड़े हैं ! हमको चेन और पिया खरबर्ती में कुछ फ़र्क़ ही नहीं लगता ! चुन -चेन तो लगता है मिलने को तड़प रही है ! अभी टाल आये हैं !

Sanjay Mohan Johri

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