जलवायु परिवर्तन – मौसम की अनियमितता और हमारे किसान मौसम की अनियमितता – बिगड़ता फसल -चक्र किसानों को भारी नुक़सान “‘ये बात बिल्कुल सही है कि ज्यादा तापमान से गेहूं की फसलों को नुकसान पहुंचता है। लेकिन यहां देखने वाली बात यह भी कि अगर ज्यादा तापमान एक सप्ताह से ज्यादा तक रहता है तो नुकसान हो सकता है। गेहूं की पैदावार पर असर पड़ सकता है। हम कई वर्षों से बदलते मौसम को देख रहे हैं। ऐसे में हम काफी समय से ऐसी किस्मों पर जोर दे रहे हैं कि जो ऐसे प्रतिकूल मौसम से लड़ने में सक्षम है। देश के बहुत हिस्सों में ऐसी ही किस्म लगाई जा रही।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘अगर तापमान बढ़ता है तो फसलों पर इसका प्रतिकूल असर तो पड़ेगा ही, लागत भी बढ़ेगी। गेहूं के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान सही माना जाता है। लेकिन हमने पिछले सीजन में इससे ज्यादा तापमान देखा था और गेहूं की पैदावार पर इसका असर भी पड़ा।’ अगर इस सत्र में भी ऐसा होता है तो इस बार नुकसान ज्यादा होगा क्योंकि अक्टूबर की बारिश के बाद गेहूं की बुवाई में देरी हो चुकी है। ऐसे में जब गेहूं में दाना आने का समय फरवरी का आखिरी या मार्च का पहला सप्ताह होगा और तब अगर पूर्वानुमान के हिसाब से तापमान बढ़ा तो इस बार पैदावार प्रभावित हो सकती है।