बन्दर जाएँ तो जाएँ कहाँ

बन्दर जाएँ तो जाएँ कहाँ – इनके जंगल तो हमने छीन लिए !

जानवरों की कुछ प्रजातियों के साथ मनुष्य की हमेशा आत्मीयता रही है। शायद यही वजह है कि कुत्ते, बंदर और कबूतर हमेशा से भारतीय जीवन का हिस्सा रहे हैं।

मगर हाल के दशकों में शहरों में इनकी संख्या में भारी इजाफा हुआ है और इनकी तादाद इतनी अधिक बढ़ गई है कि मानव सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो गया है। शहरों में रहने वाली इन प्रजातियों के व्यवहार में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। ये शहरी व्यवस्था के अनुरूप खुद को ढाल रहे हैं। शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए उनकी संख्या को नियंत्रित करना शायद पर्याप्त नहीं है। इसके लिए मानव को अपने व्यवहार में भी बदलाव की जरूरत है ताकि ये उदार जानवर शहर के लिए खतरा न बनें।

आइये आज हम नज़र डालते हैं – शहरी इलाकों में बढ़ते बंदरों की समस्या पर ..

Sanjay Mohan Johri

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