पिछली बार ‘कोरोना भैया‘ से बातचीत का माहौल कम , ‘वाद–विवाद’ कीस्थिति ज्यादा रही थी ! हम एक झटके में जो ‘भड़ास‘ निकाल पाए थे निकाल ली और वह बोल के गए थे “जबाब हम भी देंगे” !
सपने में जैसे ही भैया‘ साक्षात आये तो अपनी परम्परागत भाषा में बोले “और का हाल बा ” !
हमने कहा अभी तो तुम ‘हनक’ के लगे हो और आज 70,000 तक झोंके हो! अब हाल क्या बताएं ? हमने कहा तुम बताओ दौरा पूरा कर चिन –पिन केपास पहुँच गए ! बोले अरे कहाँ ! ‘मोटा’ बोला “जब तक कहा न जाए तैनातीपर रहो” ! हम बुढ़ौती में भले ही खुद डायरेक्ट न घुस रहे हों – ‘साथियन’ काम पर लगे हैं कि नहीं यह निगरानी रखना भी तो जरूरी है ! पता नहींकिसको “चेन” जैसी मिल जाए!
हमने कहा अरे हाँ तुम्हारी “चेन” का क्या हाल हैं ! तुमने तो लगता है“बेवफ़ाई” कर ली उनसे ! पहले तो खूब टहलाये –मस्ती करी , अब कन्नीकाट रहे हो ? बोले यही तो ‘फ़िया’ ने ‘पुतान्त’ के साथ किया था! बाद मेंदेखो क्या तमाशा मचा रखा है ! ‘चेन’ का फ़ोन तो हर दिन आ रहा है !मिलने को कह रही थी ! हम उसको वीडियो कॉल पर ही निपटा दिए ! अभीदूरी ही ठीक है ! हम “फ़िया” का खेल जरा समझना चाह रहे हैं !
दरअसल हम “फ़िया– पूतांत” का केस बहुत करीब से फॉलो कर रहे हैं !
खेल तो हुआ है और लम्बा दांव है ! असल में तुम्हारी ‘DBI’ है तो सरकारी ,तो करेगी वही जो “मित्तरों” और “मोटा–भाई” चाहेंगे ! मतलब सारा दांव“पिनीश कुमार” और “मित्तरों” का है !
असल में हम तुम्हारे के कोर्ट के निर्णय की वजह से रुक गए थे ! हमने कहादेखते है ‘ऊँट किस करवट बैठता‘ है !
अरे यह “तुम्हार बिहार का “पुलिसिआ–परमुख” ‘सुप्तेशर कांडे’ तो “बहुतमजेदार चीजन बा ! नाटक मण्डली से लाये बा“ ! DBI जांच के आदेश केबाद तो मीडिया से इसकी नौटंकी देखते बन रही थी “फिआ–खरबोरती केऊपर बड़बड़ा रहा था ! हमारा मन किया इसमें अपने ‘भाई घुसवा’ दें ! फिरहमने कहा इसको –इसके राज्य में ही जाकर निपटाएंगे ! दरअसल पिनीशकुमार के मुंह लग गया है – चुनाव जो निपटाना है !
अब देखना तुम्हारे बॉलीवुड की बजेगी ! एक से एक पड़े हैं ! “मंगना” तोबहुते खुश है ! हमने फ़ोन से बात की थी ! “प्रणब कोस्वामी” तो उसके साथहै ही !
और फिर जब हम रुके ही हुए थे तो हमने कहा ‘चिन –पिन’ के आदेशानुसारजगह–जगह जाकर हालत का मुआयना भी कर लें और देखे तुम्हारे 130 करोड़ के देश में हमसे निबटने के क्या काम चल रहे हैं ! हमने कहा तो ‘क्यापाया’ !
बस क्या था सबसे पहले अपने पुराने साथिओं को एक जगह बुलाकर“हाउस–पार्टी” करी !
मैंने कहा “पुराने साथी और हाउस पार्टी समझा नहीं”?
अरे भाई ‘टाइफाइड’,’डेंगू ,’फ्लू’ यह सब अपने ही तो “बिरादरी” के हैं ! रात में जम कर “जाम” के साथ हुड़दंग –जश्न ! सबका हाल–चाल पूछा !‘फ्लू’ बोले ‘घुस’ हम रहे हैं और लोग डर के मारे टेस्ट ‘कोरोना’ का करवारहे हैं ! ‘टाइफाइड’ बोले हम तो बारह मासी हैं ! ‘आँतों’ में पानी के साथप्रवेश कर पड़े ही रहते हैं और ‘डेंगू’ बोलै हम आते –जाते रहते हैं ! इंडिया केलोग धीरे–धीरे ‘कोरोना’ के भी आदी हो रहे हैं ! हमको मालुम है तुम लोगमजबूत हो ! हमको झेल ही नहीं , हम पर विजय भी पा लोगे ! “विजयी–भव” का हमारा आशीर्वाद तुम्हारे साथ हमेशा रहेगा !
बस सुबह –सुबह हम निकल पड़े !
पहले तो हम दिल्ली निकल लिए! इधर–उधर जाने के बजाय हम “मीडिया–चैनल” के दफ्तर निकल लिए! हमारे चिन –पिन की तरह तुम्हारे यहाँ ‘मितरों’ने भी “मीडिया खरीद” रखा है ! सब हाथ धो के “फ़िया” को निपटाने में लगेहैं ! ‘प्रणब कोस्वामी’ तो लग रहा है “खुदही पुलिस हो गवा है – पिला पड़ा है! चिल्लावत बहुते ही है “! हम सोच रहे हैं ‘बाबू मोशाय’ स्टूडियो से बाहरनिकले– साथिओं को इसमें हम घुसवा दें ! कुछ दिन तो चुप रहेगा !
चैनल तो लग रहे सब बिक गए हैं ! हमारी “कोरोना की न्यूज़” सरक के बहुतनीचे आ गयी है ! ‘मोटा भाई’ के घर पहुंचे तो मालूम पड़ा ‘अस्पताल’ में ही दफ्तर– घर बना लिए हैं ! कई मंत्रियों को भाई लोग निपटा चुके थे ! स्थितिसंतोष जनक थी !
वैसे भी तुम लोगों को “कोरोना–वोरोना” का कोई फ़र्क़ नहीं है ! ‘मास्क’ तोलगता है ‘हेलमेट’ की तरह बस हाथ में पकड़ने की चीज़ है ! हमने देखामास्क मुंह में कम “गले में लटका के” दिखाने वाले ज्यादा है !
“दारू की दूकान पर – दइया रे दइया लाइन लगी थी” ! सिगरेट फूंक रहे हैंऔर कम से कम दो बोतल लेकर ही निकले ! शुक्रवार था सो ‘वीकएंड’ पर‘स्टॉक’ भर रहे थे ! अरे भैया दारू प्रेम तो हमने बिहार , महाराष्ट्र, कर्नाटकऔर असम में देखा ! “डूबते जा रहे हैं लेकिन हाथ में बोतल सबके थी” !
अच्छा तुमने पिछले दो हफ्ते से ” अमेरिका” के बारे में कोई बात नहीं करी !
भाई देखो अमेरिकी चुनाव में “साइडेन” जो डेमोक्रेटिक पार्टी का राष्ट्रपतिपद के लिए “मुंहसिकदु (ट्रम्पवा) के खिलाफ खड़ा हुआ – समझ लो “दिल मेंठंडक” पहुँच गई है ! दरअसल हमें “मुंहसिकदु” की शकल से ही नफरत है !इस आदमी के “प्लीसिंग लुक्स” है ही नहीं ! ऐसा लगता है , हमेशा से ही“फुंका” रहता है ! ऊपर से मजा तो तब आ गया जब अपनी “कमला पसंद ” उपराष्ट्रपति पद के लिए आ गईं ! हमने कहा इसमें मजे की क्या बात है ?
भाई बोले अब नाम भी “कमला पसंद” और हैं भी पहली “अश्वेत और दक्षिणएशियाई” मूल की ! इनकी “अम्मा” तो यहीं की हैं और तुम तो जानते होहमको इंडिया कितना पसंद है ! हमने अमेरिका में साथिओं को कह दिया हैकुछ भी हो जाये ‘कमला–भाभी’ के पास नहीं फटकना !
मुंहसिकदु (ट्रम्पवा) अभी देखना कैसे ‘मटक–मटक’ कर प्रचार करेगा ! चिन–पिन तो चाहता है यह मुंह की खाये !
तो तुम क्या ‘साइडेन’ के आने से खुश हो !
अरे क्यों नहीं इस ‘मुंहसिकदु (ट्रम्पवा’) से तो पीछा छूटेगा ! साइडेन औरकमला पसंद को पटाने की चिन पिन पूरी कोशिश करेगा ! पुत्ती चाचा तोचिन–पिन के अपने ही हैं , काम बन गया तो चिन पिन की फिर पौ बारह !
तुम्हारे ‘मित्तरों’ तो बौराये बैठे हैं ! आत्म निर्भर भारत क्या हो गया , हाथधोकर पीछे पड़े हैं !
अच्छा हमने सुना है तुम्हारे यहाँ तो कोरोना काफी काम हो गया है !
अरे वह तो होगा ही ! सबसे बड़ी ख़ुशी चिन– पिन को तो इसी बात की तो हैकि हमारा प्रयोग सफल रहा है ! चमगादड़ महिला वुहान में काम पर लगी है! और वायरस पर प्रयोग कर रही है !
अच्छा हेडक्वार्टर्स से “ज़ूम– कॉल” का समय हो रहा है ! अगले हफ्ते मिलते हैं