युवा शादी से कतराने क्यों लगे हैं
आइये आज बात करते हैं एक ऐसे विषय की जो शायद हमारे-आपके परिवार में देखने को मिल रहा है ! आजकल यह देखने में आ रहा है कि ज्यादातर युवा शादी से कतराने लगे हैं। वे दोस्ती का रिश्ता तो रखना चाहते हैं और शायद लिव-इन रिलेशनशिप को भी पसंद करें लेकिन शादी करना उनकी प्राथमिकता में नहीं है आज की युवा पीढ़ी के लिए शादी एक सबसे मुश्किल फैसला है, हालात यह हैं कि इसका परिवार में जिक्र हुआ नहीं वो मुंह मोड़ने लग जाते हैं ! बावजूद इसके कि प्रगतिशील मां -बाप बच्चों को यहाँ तक छूट दे देते हैं कि जहाँ पसंद हो कर लो लेकिन उनका एक ही जबाब होता है – कोई मिले तो ! कुछ दशक पहले तक महिलाओं को ज्यादा अधिकार हासिल नहीं थे. वो पढ़ाई लिखाई भी पूरी नहीं कर पाती थीं, लेकिन अब महिलाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं. पढ़ी-लिखी और पुरुषों के बराबर पैसा कमाने वाली महिलाएं अब ऐसा जीवन साथी चाहती हैं जो आर्थिक रूप से सशक्त हो, लेकिन बहुत सारे पुरुष इस रेस में पीछे छूट जाते हैं. लेकिन ये लड़ाई महिलाओं और पुरुषों की नहीं है. बल्कि जीवन को अपने ढंग से जीने की है. शादी के सात फेरे और सात जन्मों का साथ अब भी परंपरा का हिस्सा तो हैं, लेकिन बहुत सारे युवा इस परंपरा को पिंजड़ा भी मानने लगे हैं. एक ऐसा पिंजड़ा, जिसमें वो अपने सपनों के पंख फैला नहीं पाते. लेकिन विवाह से मोह भंग क्या समाज को भी कमजोर करने का काम करेगा ? इस सवाल का जबाव ना तो सीधा है और ना ही आसान….