STOP HATING YOURSELF FOR EVERYTHING
Nov 28, 2019 Time goes by pretty fast, doesn’t it? The dusk of every passing year settles and we look
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Nov 28, 2019 How do you define a street child …? Well, a street child is the one for whom
Mar 16, 2021 Covid-19 pandemic came as a big blow to perhaps every sector including a wide range of
Dec 23, 2019 December 19, 2019 was a black day in the history of the capital of the largest state
With Love, Sir is a book written by Prof (Dr) Sanjay Mohan Johri on mentoring based on his long experience where he has tried to observe and help his students, many of them being his ‘mentees’ and today occupying the top positions in the industry
प्रोफेसर (डॉ) संजय मोहन जौहरी चार दशक से अधिक मीडिया रिपोर्टिंग – न्यूज़ एजेंसी पी टी आई में वरिष्ठ पत्रकार के रूप में और वर्तमान में एमिटी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में निदेशक के रूप में मीडिया प्रशिक्षण से जुड़े हुए हैं। मूलरूप से अंग्रेजी में पत्रकारिता करने वाले डॉ जौहरी की “कोरोना भैया मेरे सपने में” व्यंग्य के रूप में पहली किताब है ।
प्रोफेसर (डॉ) संजय मोहन जौहरी 20 वर्ष से अधिक न्यूज़ एजेंसी पी टी आई में वरिष्ठ पत्रकार रहे और फिर लगभग इतने ही वर्षों से पत्रकारिता के प्रशिक्षण से जुड़े रहकर वर्तमान में एमिटी के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। मूलरूप से अंग्रेजी में पत्रकारिता करने वाले डॉ जौहरी हमेशा से अपने इर्द गिर्द हो रही घटनाओं पर गहन नज़र रखते थे।
प्रोफेसर (डॉ) संजय मोहन जौहरी 20 वर्ष से अधिक न्यूज़ एजेंसी पी टी आई में वरिष्ठ पत्रकार रहे और फिर लगभग इतने ही वर्षों से पत्रकारिता के प्रशिक्षण से जुड़े रहकर वर्तमान में एमिटी के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। मूलरूप से अंग्रेजी में पत्रकारिता करने वाले डॉ जौहरी हमेशा से अपने इर्द गिर्द हो रही घटनाओं पर गहन नज़र रखते थे।
क्या आपको पता है धरती पर मौजूद पेड़ों की हर तीन में से एक प्रजाति पर विलुप्त होने का खतरा है. एक अनुमान के अनुसार दुनिया भर में पेड़ों की लगभग 58,000 प्रजातियां हैं.और इनमें से 16,000 से अधिक प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है.
‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ‘(आईयूसीएन) की ‘रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटेंड स्पीशीज‘ के तहत एक व्यापक अध्ययन के लिए 47,000 से अधिक प्रजातियों का आकलन किया गया. इस अध्ययन में 1,000 से ज्यादा विशेषज्ञ शामिल थे.रिपोर्ट में कहा गया है कि जंगल तेजी से कम हो रहे हैं, पेड़ों को लकड़ी के लिए काटा जा रहा है और खेती और मानव विस्तार के लिए जमीन खाली की जा रही है. इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन भी सूखा और जंगल की आग जैसी समस्याओं के कारण एक अतिरिक्त खतरा पैदा कर रहा है ये आंकड़े केवल प्रतीकात्मक नहीं हैं. विशेषज्ञों के अनुसार लोग “खाने, लकड़ी, ईंधन और दवाओं” के लिए पेड़ों की अलग-अलग प्रजातियों पर निर्भर करते हैं. यह पेड़ ऑक्सीजन बनाते हैं और वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ताप रोकने वाली गैसों को सोखते हैं..………