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डेंगू और चिकनगुनिया संक्रमण के बढ़ने की आशंका || Prof (Dr) Sanjay M Johri
भारत में पिछले पांच वर्षों के दौरान डेंगू के मामलों में करीब 84 फीसदी की वृद्धि हुई है और जलवायु परिवर्तन के चलते आशंका है इनमें अगले 26 वर्षों में 60 फीसदी तक बढ़ने के संकेत हैं ! आपने देखा होगा पिछले कुछ वर्षों में डेंगू-चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा ही नहीं विश्व के अन्य देशों में बराबर बढ़ रहा है और वैज्ञानिक जलवायु में आते बदलावों के चलते इस बात का खतरा बता रहे हैं कि 2050 तक डेंगू के मामलों में 40 से 60 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। हम सभी जानते हैं कि डेंगू बुखार एक तरह का वायरल संक्रमण है, जो एडीज मच्छरों के काटने से होता है। अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन की सालाना बैठक में प्रस्तुत अपने अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि जलवायु परिवर्तन मौजूदा समय में डेंगू के बढ़ते मामले के लिए 18 फीसदी तक जिम्मेवार है। यह समझने के लिए कि बढ़ता तापमान अमेरिका और एशिया में डेंगू के प्रसार को कैसे प्रभावित कर रहा है, वैज्ञानिकों ने 21 देशों में डेंगू के करीब 15 लाख मामलों का विश्लेषण किया है। इसके मुताबिक डेंगू का प्रसार तब होता है जब तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है, और 27.8 डिग्री सेल्सियस पर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाता है………
हम खुश क्यों नहीं रह पाते ….. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में “तनाव” यानी “स्ट्रेस” एक आम समस्या बन गई है। आज के समय में चाहे वर्क प्रेशर हो या निजी समस्याएं, हर कोई किसी न किसी रूप में तनाव महसूस कर रहा होता है। अक्सर मैंने परिवार और दोस्तों के बीच बातचीत में अगर कोई एक बात सामान्य रूप से करते हुए देखा है तो वह है तनाव या कहिये टेंशन
अभी दिल्ली और उत्तरी भारत के कई शहर वायु प्रदूषण को झेल ही रहे थे कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है जहाँ वायु गुणवत्ता का सूचकांक 1100 AQI के आंकड़े को पार कर गया ! लाहौर न केवल आज की तारीख़ में ‘गैस चैंबर’ बन गया है, बल्कि यहाँ हजारों लोग बीमार पड़े हैं और एक प्रकार से लॉकडाउन की नौबत आ चुकी है………
दिल्ली में पिछले वर्षों से बढ़ते वायु प्रदूषण के समय बहुत चला लेकिन यह नहीं पता था कि आज यह एक क्रूर सच बन जायेगा ! दिल्ली की हवा में सांस लेना हर रोज़ करीब 40 से 50 सिगरेट पीने के बराबर है और यह सिर्फ़ फैशनेबल आंकड़ेबाज़ी नहीं हैं ! देश और दुनिया की तमाम विशेषज्ञ रिपोर्ट बताती आयी हैं कि विश्व के 30 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में 20 से अधिक भारत के हैं………..
स्वस्थ और एकांत वातावरण की कमी में विलुप्त होते पक्षी…. पिछले सप्ताह दशहरे के अवसर पर एक स्थानीय समाचार पत्र ने खबर छापी थी कि इस त्यौहार पर दिखने वाला पक्षी नीलकंठ अब नहीं दिखाई पड़ता ! हमें याद है…………
अपने दुःख -दर्द या संवेदनाओं या कहिये भावनाओं को प्रकट करना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है। आज की भाग-दौड़ और व्यस्तता के समय में हमारा मौखिक रूप से संवाद वैसे ही न के बराबर रह गया है! याद करिये उस दौर की जब हम चिठ्ठी लिखकर यह काम करते थे !……….
क्या आपको पता है दुनिया की सबसे ऊँची छोटी माउंट एवेरेस्ट और ऊँची हो रही है और इसका कारण एक नदी का बहाव है जिसने इसे 15 से 50 मीटर ऊंचा कर दिया है एक ताज़ा अध्ययन के अनुसार ये नदी दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की तह से चट्टानें और………..
आज से कई वर्षों पहले भारत में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल सोलर स्ट्रीट लाइट से बढ़कर कहीं आगे निकल चुका है। अब घरों और व्यवसायों को बिजली देने से लेकर कृषि और परिवहन तक में सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जा रहा है और बिजली की बढ़ती मांग
क्या आप बता सकते हैं आपने पिछली बार फुदकती गोरैया, नाचता मोर अथवा रात में आहट पाकर कच्च कू करते उल्लू को सुनने और देखने का अवसर कब मिला था ! विकास की इस अंधीदौड़ में अब यह ये पक्षी यदा-कदा ही दिखाई पड़ते हैं।
इसमें कोई सन्देह नहीं है कि जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम सबसे अधिक भावी पीढ़ी को भुगतने पड़ेंगे और आने वाले वर्षों में भारत समेत अमेरिका, कनाडा, जापान, न्यूजीलैंड, रूस और ब्रिटेन जैसे सभी विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएँ जलवायु परिवर्तन के असर से अछूती नहीं रहेंगी………….
पिछले महीने की 30 तारिख की तड़के केरल के वायनाड जिले में हुए भयावह भूस्खलन के लिए इंसानी गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। विशेषज्ञों ने कहा है कि केरल में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं…………
भीषण गर्मी के बाद देश के कई हिस्सों में मानसून भले ही दस्तक दे चुका है और यहाँ तक की मुंबई जैसे शहर में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है लेकिन यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले दो दशकों से वर्षा में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है……….
साल 2024 की भीषण गर्मी और अब मानसून की दस्तक जिसमें कहीं बहुत तेज और लगातार पानी बरसना शुरू हुआ है तो देश के कई इलाके अभी मानसून के इंतज़ार में हैं! आने वाले कुछ दिनों में हम बाढ़ और सूखे की खबरें आप सुनेंगे !………..
क्या गर्मियों के दौरान विशेष रूप से उत्तरी भारत के वह इलाके जहां भीषण गर्मी से कोई राहत नहीं दिखाई पड़ रही कहीं ऐसा तो नहीं हर वर्ष पारा 50 डिग्री सेल्सियस के आसपास छूना एक सामान्य परिदृश्य बन जाये !……….
आइये आज बात करते हैं एक ऐसे विषय की जो शायद हमारे-आपके परिवार में देखने को मिल रहा है ! आजकल यह देखने में आ रहा है कि ज्यादातर युवा शादी से कतराने लगे हैं। वे दोस्ती का रिश्ता तो रखना चाहते हैं और शायद लिव-इन रिलेशनशिप………….
सवाल यह है कि गर्मी बढ़ रही है या हमें ज्यादा महसूस हो रही है ? JE HAAN तापमान भले ही कुछ भी रिकॉर्ड किया जा रहा हो लेकिन गर्मी महसूस हो रही है 50 डिग्री वाली !………….
कुछ याद है आपने पिछली बार कोई फिक्शन , नॉन फिक्शन किताब कब पढ़ी थी ! शायद आज की युवा जनरेशन के लिए यह बता पाना मुश्किल हो क्योंकि आज की ‘टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया’ ने युवाओं में यह आदत बहुत कम होती दिख रही है!…………….
अगर आपको आज किसी दूर रह रहे इंसान का हालचाल पूछना हो तो जाहिर है आप तुरंत अपना फोन उठाकर कॉल कर देंगे. आज का वक्त इतना डिजिटल हो गया है कि आप तुरंत वीडियो कॉल करके सामने वाले इंसान से “फेस-टू-फेस”………..
आपको सुनने में ये अजीब लग सकता है. लेकिन क्या आपको पता है कि हम रोज करीब 48 अरब लीटर पानी बर्बाद करते हैं ?………..
उत्तराखंड में गर्मी तेज होने के साथ जंगलों में आग लगी हुई है और बताया जा रहा है पूरे राज्य में 350 से अधिक आग की घटनाएं घटी हैं. अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा मुताबिक एक नवंबर 2023 से अब तक जंगल में आग की 373 घटनाएं………..
बीते सप्ताह संयुक्त अरब अमीरात के दुबई और अन्य शहरों में हुई भारी बारिश ने दुनिया को हिला दिया क्योंकि रेगिस्तानी इलाके में यह अप्रत्याशित बारिश असामान्य थी। जहाँ एक तरफ दुबई की बारिश को “क्लाउड सीडिंग” की वजह……..
अक्सर हम सभी सुबह-सुबह कबूतर की “गुटर गूं” आवाज के साथ उठते हैं और निस्संदेह कबूतर की यह आवाज़ किसी गुर्राहट, सिसकारी और सीटी की ध्वनि जैसी होती है । हमारे घर और शहरों में फैली हुई मल्टिस्टोरी बिल्डिंग कबूतर और उनकी प्रणय रीति , सामान्य दृश्य है, जिसमें ये झुककर गुटर गूं करते हैं।……….
Plastic
बन्दर जाएँ तो जाएँ कहाँ – इनके जंगल तो हमने छीन लिए ! जानवरों की कुछ प्रजातियों के साथ मनुष्य की हमेशा आत्मीयता रही है। शायद यही वजह है कि कुत्ते, बंदर और कबूतर हमेशा से भारतीय जीवन का हिस्सा रहे हैं।……….
पानी के संकट से जूझता बंगलौर शहर आपने अभी हाल ही में अख़बारों और टेलीविज़न चैनल्स में देखा होगा कि भारत का आईटी हब कहा जाना वाला बेंगलुरु शहर इन दिनों हर रोज़ बीस करोड़ लीटर पानी की कमी………..
बात शायद 1983 की है ! मैं PTI में Trainee Journalist था और मुझे दिल्ली Headquarters से देहरादून के Forest Research Institute में तीन दिवसीय Conference को कवर करने के लिए देहरादून जाने का आदेश मिला !…………..
वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक मुद्दे के रूप में उभर कर आया है। जलवायु परिवर्तन कोई एक देश नहीं , यह एक वैश्विक अवधारणा है जो समस्त पृथ्वी के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है। आज भारत सहित पूरी दुनिया में बाढ़, सूखा……….
मेरा हमेशा से मानना है पत्रकारिता और जनसंचार के पाठ्यक्रम में समाचार एजेन्सीज़ या News Agency जर्नलिज्म के बारे में पढ़ाया तो जाता है लेकिन सतही तौर पर क्योंकि एक Academician इस विषय के बारे में आपको केवल किताबी …………
पिछले काफी समय से बहस छिड़ी है कि गोदी मीडिया ( जिसको हम मीडिया पर लगाम लगाने के सन्दर्भ में इस्तेमाल करते हैं) के कारण हम एक स्वस्थ पत्रकारिता नहीं कर पा रहे हैं !………..
हुत पुरानी कहावत है और हमेशा से कहा जाता रहा है कि अगर आपके पास खेत हैं तो आप भाग्यशाली हैं और खेतों को बचाकर रखिए। हालाँकि यह एक अलग विडम्बना है कि जहाँ एक ओर हमारा किसान जलवायु परिवर्तन की मार की वजह से…..
हमारे पैरों के नीचे की ज़मीन को केवल मिट्टी कहकर ख़ारिज करना आसान हो सकता है। लेकिन आपको पता होना चाहिए इसके बिना मानव जाति का अस्तित्व नहीं होगा ! आज एक बार फिर हम जलवायु परिवर्तन के दौर में हमारी मिट्टी दुनिया भर में गंभीर संकट का सामना कर रही है।……….
In conversation with Sangeeta Pandey on the reason behind writing With Love, Sir. The importance of mentor and how he can help the student in shaping them and making their future………..
जलवायु परिवर्तन – मौसम की अनियमितता और हमारे किसान मौसम की अनियमितता – बिगड़ता फसल -चक्र किसानों को भारी नुक़सान “‘ये बात बिल्कुल सही है कि ज्यादा तापमान से गेहूं की फसलों को नुकसान पहुंचता है।………..
क्या आपको पता है की वर्तमान में हो रहे जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा कारण हमारी पुरानी परंपराओं को छोड़ना भी है। यह कोई पुरानी बात नहीं बल्कि शायद 20 साल पहले चूल्हे पर खाना बनाना और फिर उसकी राख से बर्तनों को मजन यह प्रथा हमारे गांव में आज भी प्रयोग में लाई जा रही है……….
महामारी का दौर – पहली, दूसरी, और फिर तीसरी लहर ( अल्फा बीटा, ओमिक्रोन) – ऑफलाइन से ऑनलाइन , फिर काम पर वापसी और बीच में एक बार फिर ऑनलाइन ! …….
What happened in Ayodhya on December 6, 1992, is all history, and Journalists of our time know it……..