कोरोना भैया बोले ड्रग्स का यह क्या नया खेला है – ‘का सब नशेड़ी बा’ …….

‘और का हाल बा छोटे भाई – क्या अभई भी गुस्सा भरा है या कुछ ठंडे बये’?उधर से अपने पुराने चिर-प्रातिक्षित अंदाज़ में आवाज आई !

वही थे अपने कोरोना भैया !

हमने कहा ठंडे तो हम न हो पाएंगे अब क्योंकि तुम्हारी आदतें तो सुधरनी वाली हैं नहीं और अब दोस्ती टूटने के कगार पर ही समझो ! समझ लो मुलाकात का दौर खत्म !

“ अरे छोटे भाई यह क्या कह रहे हो ! हमारा और कौन है यहाँ थोड़ी देर गपियाने के लिए ! एक तुम्ही तो मिले हो जिससे हम अपने “मन की बात” कह लेते है ! रूयासे होते हुये बोले ऐसा न करो और कोरोना भैया मेरे बिस्तर के नीचे जमीन पर ही बैठ गए क्योंकि पिछली बार डांट खाये थे ! मैंने कहा देखा आ गए हो औकात पर !

‘तुम हमें कहीं बैठाओ हम तैयार हैं लेकिन इतने बेवफ़ा न बनो , एक दिन तो बेइज़्ज़त होकर जाना ही है तो अच्छा है आदते बदलना शुरू कर दें ! अच्छा चाय बनाया जाई पत्ती मार के ! घुस–घुस के कमर टूट गयी है !

अपनी बात चालू रखते हुये बोले “लेकिन एक बात है भारतवासी में ! दम बहुत है ! अब एक लाख के ऊपर हैं लेकिन देखो आदमी ‘छुट्टा’ घूम रहा है तुम्हारे यहाँ बगैर मास्क और दूरी बनाए ! बाज़ार में आदमी पटा पड़ा है ! कोई खोमचे वाले के यहाँ छोला-भटूरा दाब रहा है , कोई बंद मक्खन या चाय सुड़क रहा है ! हर आदमी निडर बा ! बस घर जाकर “मित्तरों का काढ़ा” चढ़ा लेता है , समझ लो सब ‘कवर’ कर लिया ! अब तो सातो दिन खुल गए ! तुम्हारे पान वाले मोदी भैया की तो अब चाँदनी है ! हम भी उधर से निकले तो 300 नंबर का पान किमाम लगा के दाब लिए ! दारू की दुकान पर तो लाइन लगी है , बोतलें ले–ले कर गाड़ी में रख रहे !

यही आत्म-निर्भर भारत है ! मित्तरों का देश है ! दम-खम तो है ही ! सुना है मित्तरों अपनी ‘दाढ़ी’ बढ़ा रहे है ! क्या दिसम्बर तक “सांता क्लाज” बन कर उसकी भी नौकरी ले लेंगे ! हमने मन ही मन कहा बड़बड़ाने दो आज इनको ,पिछली बार तो हमने इनकी बोलती बंद रखी थी ! आज इनकी सुन लो !ज्यादा बात करने का मन भी नहीं था !

बोले अब देखो “फिया” चल रही थी न्यूज़ में – उसको भी मित्तरों ने जेल में ठुसवा दिया और मंगना को अपना दूत बनाकर मुंबई छोड़ दिया ! “अरे यह कल की लड़की , क्यों इसकी जवानी खतम कर रहे है ! मोटा भाई ने “वाई प्लस सुरक्षा” भी दे दी है !

अच्छा, तुम्हारे यहाँ यह ड्रग्स का क्या नया खेला शुरू हो गया ! लग रहा है सब ससुर के नाती नशेड़ी हैं क्या– खासकर फिल्मी लोग ??? हमें लग रहा है “फिया – मंगना” तो अभी एक सोची समझी राजनीति के तहत काफी समय तक चलेंगे ! दरअसल यह मित्तरों का एक लंबा अभियान है !

तुम्हें क्या नहीं  लग रहा है रोज– रोज एलओसी पर तनाव बताना , फिया-सुतान्त , कंगना – यह सब आम जनता का ध्यान बटाने ले लिए है ताकि हमारे रहते भी हमको पांचवें पन्ने पर डाल दो ! गरीबी भुखमरी, अर्थ व्यवस्था और विकास सब गया तेल लेने ! आदमी का ध्यान बताने का यह सबसे अच्छा तरीका है

हमारे मित्तरों की सोच दूर तक की है , वह क्या बोलते हैं तुम्हारे यहाँ Visionary नेता हैं ! इनको पहले बिहार और फिर बंगाल निपटना है , देखते जाओ आगे आगे होता है क्या !

अब देखो तुम्हारा संसद का मॉनसून सत्र आ रहा है ! मोटा भाई आज तीसरी बार अस्पताल में फिर भर्ती हो गए ! हमने कुछ नहीं किया है बस घुस के निकाल आए थे ! दरअसल इनकी शुगर बहुत हाई है !

अब संसद में देखो आधे तो बुढ़ऊ हैं ! वह तो घर पर ही रहेंगे आने को मना कर दिया गया है ! कई एक “मंत्री” में तो हम घुस चुके हैं , वैसे ही ढीले पड़े है ! बस खाना पूरी करनी है ! वहाँ भी तुम्हारे यहाँ ‘विपक्ष’ तो है ही नहीं ! ‘पप्पू’ बैठेगा – का कर पाई , समझ में तो कुछ उसके आवत नाही ! बोलेगा भी तो वो जिसका कोई मतलब नाही ! सब हंसत बा ! मित्तरों तो हमारे चाहते ही हैं कि 2024 से पहले वह ऐसी व्यवस्था बना दें कि हर तरफ वही– वही नज़र आयें ! मीडिया कि आवाज तो बंदे ही कर दिएँ हैं ! धीरे धीरे सब चैनल में ‘प्रणव कोस्वामी’ जैसे चीखने वाले बैठ जाएंगे !

मैंने कहा अच्छा भाषण बंद करो और बताओ ‘हवेली’ गए थे ! तुम तो पित्र–पक्ष में ‘कोरोना–पित्तरों’ का दान करने गए थे

पिछले हफ्ते वहीं तो रहे ! पित्र पक्ष में दान दक्षिणा करी !

हमने याद दिलाया “तुम्हारे परिवार में तो कई शुभ कार्य होने वाले थे , क्या हुआ ! तुम बोले थे तीन महीने बाद “सार्स भैया” की मंगनी है और Measlesबहना के होने वाले है और तुम ‘मामा’ भी बनने वाले थे ! क्या सब टल गया ?

नहीं भाई जैसे ही पित्र–पक्ष खतम , शुभ काम शुरू ! पहले तो देखो Measlesबहना निपटेंगी !

हमने चौंक कर कहा बहना निपटेंगी मतलब नए वाइरस का जन्म ?

बोले अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी तो दे ही दी है कि अगली महामारी से निपटने कि तैयारी में लग जाइए ! चिन-पिन के साथ षड्यंत्र रचा जा रहा है ! अब जो आएगा वह Measles बहना से ही निकलेगा ! हमने बताया था इसका नामकरण हो चुका है ! “टिक– वायरस” ! “टिक –टॉक”बंद होने केई बाद से चिन –पिन बहुत बौराया हुआ है !

हे भगवान तुम थम नहीं रहे हो और अब “टिक– वायरस” !

यह कहाँ से घुसेगा ! बोले अंदर कि खबर है किसी से कहना नहीं ! हमको ऊपर नाक से घुसेड़ा , “टिक” को नीचे से जाना चाहिए !

हमने कहा तुम्हारे लिए तो मास्क चल गया “अब नीचे क्या पहनेंगे ”!

भैया बोले पूरा विश्व विकासशील दिशा में चल पड़ा है और नई तकनीक बनाना कोई दिक्कत नहीं ! हमारे हिसाब से शायद सबको “लंगोट पहनना”पड़े क्योंकि सुना है वह “टाइट” बहुत रहता है !

मैं चकरा चुका था और यह भावी संभावनाओं पर तफ़सरा जारी रखे हुये थे !देखो हम हाथ जोड़ कर कह रहे हैं तुम दोस्ती मत छोड़ना ! एक तुम्ही तो हो जिससे बात करके मन भी हल्का करते हैं और तुमको भी अंदर की खबर दिये रहते हैं !

“जैसे हर माफिया के कुछ अच्छे दोस्त भी होते हैं ऐसे ही हम आतंकवादी जरूर हैं लेकिन कुछ घर हमने छोड़े हुये है” , भैया बोले !

“तुम बस काढ़ा , नोनी , तुलसी , गुनगुना पानी , हाथों कि सफाई और मित्तरों के अनुसार दो गज़ कि दूरी बनाए रखो ! खाने पीने के शौकीन हो सो तुम घर में रहकर एंजॉय करो ! हम धीरे धीरे कम भी पड़ेंगे और कमजोर  भी होंगे !

कोरोना भैया यह कहते हुये कि “तुम संघर्ष करो , हम तुम्हारे साथ है”- धीमे से सरक लिए !

Sanjay Mohan Johri

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