Nov 28, 2019
‘बैचेन दिल’ , ‘ राय साहेब’ , ‘सपना सुहाना’ , ‘जासूसी नजरें’ , ‘हिसाब –किताब’ ,’ प्रलय’ , ‘मुराद’ , ‘धुरंधर’ , ‘नादान’ , ‘चम्बल की भूख’…….
क्या यह सभी नाम आपको किसी पुरानी फिल्म , मैगज़ीन या आज कल की स्टाइल के किसी टेलीविज़न सीरियल की याद दिलाते हैं ? जरा सोचिये !
‘काशी जी की जय’ , ‘डॉ नसबंदी’, ‘सूरज कंडोम’ , ‘आशा नैपकिन’ , ‘विनोद बढ़ई’ , ‘जज –अपने’ , ‘वकील – निचले’ , ‘तहसीलदार काम वाले’ , ‘धोबी– धुलाई वाला’ , ‘धोबी –प्रेस वाला’ , ‘मम्मी न्यू’ , ‘पापा-2’ , ‘पत्नी–दूसरी’ , ‘पत्नी–पुरानी’ , ‘सासु माँ– JIO’ , ‘नाई– अलीगंज’ , ‘नाई –गोमती नगर’ , ‘भटकती आत्मा’ , ‘कबाड़ी’ , ‘बैंक न्यूसेंस’ , ‘बुलशिट कॉलर’ , ‘खा–मो– खा’ , ‘पता नहीं’ , ‘आलतू –फालतू’ , ‘रामु हल्दी वाले’ ‘दूध वाले भैया’ और पता नहीं कैसे कैसे विचित्र नाम !
श्रंखला जारी है जैसे राधे राधे , हम तुम्हारे , जोनी १२४५६ , डार्लिंग , पप्पू की प्यारी , किल दिल….
आपको लग रहा होगा यह क्या अनाप शनाप लिखा जा रहा है ! जी हाँ , यह रोचक तथ्य आधिकारिक हैं ! पहली पंक्ति के सभी नाम जैसे बैचेन दिल , राय साहेब , सपना सुहाना , जासूसी नजरें , हिसाब –किताब , प्रलय , मुराद , धुरंधर , नादान , चम्बल की भूख — उत्तर प्रदेश के गली मोहल्लों से निकलने वाले अख़बारों के शीर्षक हैं !
दूसरी पंक्ति काशी जी की जय ,डॉ विनोद नसबंदी, सूरज कंडोम , आशा नैपकिन , विनोद बढ़ई स्मार्ट फ़ोन के कांटेक्ट लिस्ट की है जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि लोगों ने आपने कांटेक्ट लिस्ट में कैसे कैसे नाम रखे हुए हैं जिनमे कुछ नाम का लॉजिक भी है ! काशी जी की जय नाम इसलिए रखा गया क्योंकि माताजी प्यार से बेटे को घर में ऐसे ही सम्बोधित करती थी तो बेटे ने कम से कम फ़ोन की लिस्ट में यह नाम दर्ज कर माँ का सम्मान बढ़ाया है ! डॉ नसबंदी इस लिए क्योंकि स्वास्थ्य विभाग डॉ विनोद को प्रदेश में नसबंदी कार्यक्रम से जोड़े हुए है और यह डॉक्टर साहेब जहाँ भी जाते हैं इनकी पहचान इसी रूप में है! यही सन्दर्भ सूरज कंडोम का है क्योंकि इनका काम कंडोम सप्लाई करना है जबकि आशा नैपकिन वितरण का कार्य देखती हैं !
हर व्यक्ति सुविधा के हिसाब से लोगों के नाम भी दर्ज करता है जैसे अगर एक धोबी कपडे धोने आता है और दूसरा प्रेस करता है तो एक का नाम धोभी धुलाई और दूसरे का धोभी प्रेस वाला याद रखने के लिए आसान है ! जैसे एक साहेब ने बताया पहले वह अलीगंज कॉलोनी में रहते थे तो नंबर नाई के रूप में दर्ज था लेकिन जब से गोमती नगर में शिफ्ट हुए , नउआ बदल गया तो नाम को नाई –अलीगंज और नाई – गोमती नगर में याद रखना उचित है क्योंकि काम दोनों से पड़ जाता है !
मम्मी न्यू , पापा-2 , पत्नी दूसरी , पत्नी पुरानी समाज के उस आईने को दर्शाती जहाँ पारिवारिक झंगड़ों और तनाव तनाव के कारण पापा मम्मी एक नहीं दो हैं ! सासु माँ ने JIO का नया नंबर लिया है तो उनका नाम JIO के साथ जुड़ गया ! जज –अपने ( वह हैं जो कोर्ट कचहरी के काम में अपने पद का प्रभाव का इस्तेमाल कर देते हैं ) वकील – निचले ( मतलब लोअर कोर्ट से है ) तहसीलदार काम वाले (यह वह हैं जो भ्रष्टाचार में लिप्त आपका काम कर देते हैं ) . अब आप समझ गए होंगे इन सभी नाम का लॉजिक है !
इसी श्रंखला में भटकती आत्मा , कबाड़ी , बैंक न्यूसेंस , बुलशिट कॉलर , खा–मो– खा , पता नहीं , आलतू –फालतू भी हैं और इन सभी का बेहद तार्किक उत्तर मिला ! भटकती आत्मा उन साहेब के लिए था जो जब चाहे आपको फ़ोन कर सकते हैं ! स्क्रीन पर यह नाम देख कर आप फ़ोन न उठाएं बेहतर होगा ! बैंक न्यूसेंस उसका नंबर है जो आपको रोज फ़ोन करता है और वह भी जब DND सर्विस के तहत इस नंबर को बंद करवाने का प्रयास असफल रहा ! स्क्रीन पर यह नंबर आया नहीं आप सचेत हो जाते हैं ! बुलशिट कॉलर , खा–मो– खा , पता नहीं , आलतू –फालतू का तो किस्सा ही अलग है ! जानकारी मिली है यह नंबर प्रेमी प्रेमिका के एक प्रकार के कोड हैं ताकि घर वालों को पता ही न चल सके कि सच क्या है !
राधे राधे , हम तुम्हारे , जोनी १२४५६ , डार्लिंग , पप्पू की प्यारी , किल दिल मेल के बे सिर–पैर पासवर्ड है और इनकी संख्या अनगिनत है !
नाम रखने के इस अजूबे तरीके पर केवल याद आता है वह जमाना जब हमारे नामकरण के लिए कभी कोई दिमाग नहीं लगाया गया बल्कि उस दौर में गुड्डी , गुड्डन , कल्लू , पप्पू , लल्लू , छोटी , बड़ी , मंझली , सद्धो , बन्दों सब चलता था और हमको फरक भी नहीं पड़ा ! ७०–८० के दशक से नामकरण पर काफी अनुसन्धान शुरू हो गया ! नाम का अर्थ भी होना चाहिए और उसमे सुंदरता भी ! आज के नाम रखने पर कुत्तों से लेकर हम मनुष्यों के लिए एक द्वंद्ध चलता है, नाम विशुद्ध रूप से तार्किक हो या फिर उसमे अंग्रेजी का पुट भी !
मुझे बताने की अधिक आवश्यकता नहीं बस अगल –बगल पूछताछ करिये उत्तर आपको मिल जायेगा !