देश खुल रहा है – बच सको तो बच लो …….

“और का हाल बा भैया, हम तो कल रात भर तुम्हार इंतज़ार करत रहि ,लेकिन लगत बा तुम्हें सोबन का टाइम नाहि मिलबा” !

मैं गुस्से में तो था ही , फूट पड़ा ! मैंने कहा “ज्यादा पुरबिया बोलना और नाटक करना बंद करो ! बहुत हो गया , अब तुम्हारा और तुम्हारे चिन-पिन का तमाशा बर्दाश्त नहीं हो रहा !

हमने कहा हाँ नहीं सो पाये हम क्योंकि तुमने तो अब ‘गजब ढा’ रखा है जहां देखो वहाँ ‘घूम’ रहे हो ! 90,000 रोज के फेर में आ गए हो ! इंडिया– विश्व में ब्राज़ील को पछाड़ कर अमेरिका के बाद नंबर दो पर आ गया है ! तुम पिछले हफ्ते हमारी सोसाइटी में भी घुस आए– सो हम इंतेजाम में लगे थे और साथ में हमारे यहाँ काम बहुत था तो उससे भी निबट रहे थे !

कोरोना भैया बोले ‘अरे गुस्सा न हो चलो चाय–वाय पिलावा जाई ! हम भी थके हुये हैं! तुम्हारे द्वारे पठे थे’! हमने कहा हम संस्कारी –शिष्टचारी हैं वह तो पिला देंगे लेकिन अब तुम हमारी दो टूक सुन लो !

यह पूछते हुये  कि इतना गुस्से में क्यों हो वह बिस्तर की तरफ बढ़े , हमने कहा खबरदार नीचे बैठो ! जितनी औकात बस उतने में रहो !

हमने कहा अब हमने तुमसे निबटने की तैयारी कर ली है ! अब तुम घुसो,जितना चाहो घुसो ! घर–घर गली–गली घूमो ! हमने तुम्हारी हरकतों को काफी हद तक समझ लिया है !

दरअसल हमारे यहाँ सरकार ने भी एक तरह से हाथ डाल दिये हैं ! अरे 90,000 तो बस सरकारी आंकड़े हैं ! संख्या तो समझो डबल है !

वह कैसे ! यह तो चिन पिन की और बड़ी सफलता है , हम टार्गेट से ऊपर हो गए ! भैया बड़ी खुशी से बोले ! हमने कहा चुप , उछलना बंद करो !

मैंने कहा तुम थोड़ी देर चुप नहीं बैठ सकते ! चाय सुड़को और चुपचाप बैठे रहो !

दादा रे दादा , हमारा दोस्त हम से इतना गुस्सा , कोरोना भैया बोले ! हमने कहा वह तुम और ‘चिन-पिन’ जाने बस अब तुम देखना “मित्तरों” का “आत्मनिर्भर–भारत” तुमको कैसे निपटाता है !

मित्तरों को तो तुम जानते ही हो – गमछा लगाए ज्यादा बोलते तो है नहीं ! जो बोलते हैं तो “मन की बात” करके इकतरफा करते हैं ! मन की बात में वह बोलते हैं जिसका किसी से लेना देना नहीं -जैसे लोगों से “खिलौने बनाने” की बात कर रहे ! अब तुम बताओ कोरोना काल में खिलौने – मज़ाक नहीं लगता!

क्या मित्तरों के नाती- पोतन होने वाले हैं , भैया बोले ? अरे हमने कहा खबरदार जो ऐसी बाते छेड़ी ! ज्यादा ‘डिस्कस’ किया तो सीधे जेल में डाल दिये जाओगे ! अरे छोड़ो , हम और जेल में ! वहाँ भी घुसेंगे तो पूरा जेल निपटा देंगे !

अब भारत में “नई राष्ट्रीय कोरोना नीति” बनी है , जानोगे नहीं यह क्या है !

अच्छा नहीं बोलेंगे ! भाभी से कह दो केतली भर के चाय रख दें और ड्राईवर भेज कर ‘शर्मा के समोसे’ मँगवा दो ! हमारा मुंह चलता रहेगा , बोलेंगे ही नहीं ! तुम नीति विषेयक बात जारी रखो !

देखो मित्तरों ने सभी राज्यों से कह दिया है हम तो “देश खोल” रहे हैं ! अब जनता कोरोना से सीधे निपटे! नई नीति के अंतर्गत “बच सको तो बचो– न बचो तो तुम जानो” ! जन संख्या ही कम होगी !

मित्तरों– बगैर बोले ही इशारों में काम कर रहे हैं ! मीडिया तो पहले से ही गुलाम हो गया था ! उसको निर्देश हैं तुमको कभी कभार पहले पन्ने पर छाप दें बाकी दिन – पांचवे पन्ने से पहले नहीं ! अगर छापो तो “फिया सुतान्त” के बारे में , “पनुष्का के होने वाला है तो उसका कयास लगाना शुरू करो –लड़का होगा या लड़की ! पवान वैलि में कुछ हो न हो , रोज हवा भरे रखो ! एक मंत्री को तुम्हारे पुतती चाचा के पास भेज दिया है वह वहाँ बजा रहा है कि भारत शांति -प्रिय देश है लेकिन कोई दादागिरी करेगा तो हम भी पलट के मारना जानते हैं ! वगैरा- वगैरा …. ! मतलब तुम कोरोना को छोड़ बाकी सब बातें करो !

अब जैसे हमारे यहाँ ‘बाबा’ को तो प्रशासन यही बताता है सर बस थोड़े ‘केसेस’ ही बढ़ रहे हैं बाकी सब ठीक- ठाक है लेकिन ‘ब्यूरोकरसी’ को तो तुम जानते ही हो उन्हे पता है महंत – बाबा को कैसे घुमाना है!

मीडिया को तो तुम देख रहे हो –सब बिकाऊ हैं , एक दो कुछ दम भरने की सोचते भी हैं तो संदेश चला जाता है तुम्हारे “विज्ञापन बंद” ! जिला प्रशासन ने सभी “पैथोलॉजी” से कह दिया है “टेस्ट” करो भी तो “पॉज़िटिव मत दिखाओ” नहीं तो तुम सबको “बंद” कर देंगे ! संख्या बढ़ाओ मत , बाबा को गुस्सा आ गया तो कई अधिकारी नाप दिये जाएंगे !

वैसे तुम्हारे कोरोना कॉल में प्रशासन ने बहुत जम के कमाई की है लेकिन मीडिया अब अपने आपको बचाए या तुम्हारे बारे में लिखे !

अब बताओ अगर आदमी को बुखार खांसी हो जाए तो वह तो अस्पताल जाएगा ! टेस्ट करवाएगा ! सरकार कह रही “साधारण खांसी बुखार के लिए कुछ नहीं घर रहो अपने आप ठीक हो जाएगा” ! जब मरने के कगार पर हो तब आना ??

तो तुम घुसते रहो हम अपना इंतेजाम भी कर रहे है और फिर जो होगा देखा जाएगा !

नई नीति के तहत हर घर में इवेरमेक्टिन (Ivermectin), अज़िथ्रोमाइसिन ,पैरासिटामोल , नेबुलाइजर मशीन और पल्स ऑक्सी मीटर रख लिए गए हैं ! यह अलग बात है इनकी भी काला-बाजारी शुरू हो गयी है! मित्तरों का काढ़ा , प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पदार्थ पेल के पिये जा रहे हैं ! समझदार लोग मास्क और दूरी बनाकर चलें तो तुमसे निपटा जा सकता है !

स्कूल कॉलेज खुलना नहीं ! बाकी जो खुलें ,वह अपने आपको खुद संभालें ! बच जाएँ तो ठीक , न बचे तो जाओ ‘ऊपर’ ! गाड़ने और फूकने तक का तो इंतेजाम नहीं है !

कल से Unlock 4.0 शुरू – सब छुट्टा ! बस अब इसी राष्ट्रीय कोरोना नीतिपर सबको चलना है ! इसकी मूल भावना यही है – “बच सको तो बच लो –हम अब और किसी काम के नहीं” !

और गाँव देहात में तुम कुछ खास कर न पाओगे ! किसान खेती करके मोटी–रोटी ,नमक–गुड़ के साथ खा रहा है , मेहनत करता है और बम्बे का पानी !

“यही आत्मनिर्भर भारत है” !

अब देखो नीट  और जेईई का बच्चा चिल्लाता रहा , कुछ हुआ ! समझो सबको धुआँ मार दिया है मितत्रों ने ! बहिन जी तक तो चुपपे बैठी हैं ( निश्चित एफ़बीआई में फँसाने के लिए डरा दिया होगा ! अरे भाई ‘मेजोरिटी’हैं जो चाहे उखाड़ लो ! पप्पू तक को तो जवानी में बुड्ढा कर दिया !

अच्छा भाई ! कोरोना भैया बोले , बड्बड़ना बंद करोगे कि नहीं ??

हमने कहा इसे बड्बड़ना मत समझो “अब तुम हर बार बिस्तर के नीचे ही बैठना और समझ लो हम तुमसे निपटने कि तैयारी में लगे हैं” !

अच्छा तुम्हारे पास घुसने के अलावा कोई और काम भी है कि नहीं !

है क्यों  नहीं ! बस शादी ही तो नहीं करी बाकी अम्मा बाबूजी चाचा , ताऊ सब तो हैं हवेली में ! अब हवेली का चक्कर तो लगाना ही पड़ता है , वहीं जा रहे हैं ! पित्र-पक्ष चल रहे हैं न ! मैंने चौक कर पूछा तुम क्या करोगे पित्र पक्ष में ? अरे जो वाइरस मर गए वह तो हमारे पित्र हुये ! दान- दक्षिणा तो हवेली में करवाना पड़ता है !

हमने कहा ठहर जाओ कुछ दिन तुम भी “पित्रों” की  तरफ ही बढ़ रहे हो ……..

Sanjay Mohan Johri

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