Turning Point

‘Turning Point’ is a collection of life stories of ordinary people who made extraordinary life decisions. Each and everyone of us at some point has to make decisions that can change the course of our lives.

Turning Point Book: Interview Video with Bal Krishna


Book Review from Industry People!

प्रोफेसर संजय जौहरी ने जीवन की नितान्त सच्चाइयों पर लिखी लघु कहानियों के संकलन ‘टर्निंग पॉइंट’ को पढ़ने का मौका दिया। हर कहानी जीवन के मर्म को समझाती है और आशावादी जीवन को जीने की प्रेरणा देती है। कई कहानियों ने मेरे जीवन की कुछ घटित घटनाओं को जीवन्त कर दिया। जो भी ‘टर्निंग पॉइंट’ के पाठक बनेंगें उन्हें हर कहानी अपनी सी महसूस होगी। शुभेच्छा। ” सादर,
आलोक वर्मा
Founder, CEO & Editor-in-Chief, Newzstreet Media Private Limited
बचपन में स्कूल की किताब में एक कहानी पढ़ी थी.जैसा कि अकसर होता है-समय के साथ, कहानी की पंक्तियां स्मृति पटल से धुंधली होती गईं. लेकिन उस कहानी का नाम मैं कभी नहीं भूल सकता.क्योंकि ये नाम, तेज आंधी में भी जलते रहने की जिद करने वाले दिए जैसे हौसले की याद दिलाता है. कहानी थी कमलेश्वर की - "आदमी खुशी खोज लेगा""टर्निंग पॉइंट" के ‘पुलक बाबू’ ‘मानसी’ और ‘दामिनी’ भी न तो कभी उम्मीद का दामन छोड़ते हैं और न ही संघर्ष के तपते कंटीले रास्तों पर सहानूभूति की छाया खोजते हैं. हर हाल में, खुशी खोज लेने की उनकी जिद के आगे मजबूरियां पीछे छूट जाती हैं."मनु", "दानिष" और "सर्वेश्वर" बाबू को भले ही आप न जानते हों, लेकिन ये किरदार किसी और शक्ल में आपको अपने आस-पास मिल ही जाएंगे. क्योंकि ये उन लोगों की कहानी है जो लेखक के शब्दों में "ये मान कर चलते हैं कि सपने देखने का टिकट नहीं लगता".सपने देखना तो आसान है लेकिन रोजी-रोटी के संघर्ष और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच आंखों में इन सपनों को संजोए रखना उतना ही मुश्किल होता है जितना दोपहर की चिलचिलाती धूप में जुगनू को बंद मुठ्ठी में लिए घूमना.रोजमर्रा की कशमकश में सपनों का गला कब घुट जाता है, पता ही नहीं चलता. तभी तो "पाश" ने कहा था, "सबसे खतरनाक होता है घर से निकलना काम पर, और काम से लौट कर घर जाना. सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना.""टर्निंग पॉइंट" उन लोगों की कहानी है जिन्होंने अपने सपनों को कभी मरने नहीं दिया. जिन्होंने दोपहर की चिलचिलाती धूप में भी मुठ्ठी में बंद सपनों के जुगनू को जिंदा रखा.
Balkrishna
Editor, Fact Check - Aaj Tak ( India Today)
हाशिए का समाज हमारे देश में बहुत बड़ी आबादी है जो रोज कुआं खोदती और पानी पीती है। स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद इसे विकास की मुख्य धारा का समाज बनना चाहिए था लेकिन आज भी यह हाशिए का ही समाज बना हुआ है। गांवों से लेकर महानगरों तक यह विशाल भारत फैला हुआ है। दिल्ली-मुम्बई-कोलकाता हो या लखनऊ-पटना-जयपुर जैसे शहर, शहरी मध्य एवं उच्च वर्ग का जीवन इस कामगार भारत के बिना नहीं चलता। काम वाली बाई एक दिन नहीं आए तो देखिए बहुमंजिला अपार्टमएण्ट के फ्लैटों में कैसी हाय-तौबा मचती है। एक दिन कचरा न उठे, बाबू जी की कार साफ न हो पाए, ड्राइवर छुट्टी ले ले तो साहब-मेमसाहबों को रोना आ जाता है। कारखाने उनके बिना नहीं चलते। उद्योग-धंधे उनकी अनुपस्थिति से ठप पड़ जाते हैं। इसके बावजूद यह समाज अदृश्य रहता है। अफ़सोस यह समाज समाचारों में नहीं होता। दानिश, भुलई, दामिनी, मानसी, मनु, बादल और इन जैसे कई चरित्रों के जीवन, सपनों और संघषों की ये कथाएं जब आप पढ़ेंगे तो जानेंगे कि ‘टर्निग पॉइण्ट’ सेलेब्रिटीज के जीवन में ही नहीं आता। जरूर पढ़ियेगा ‘टर्निंग पॉइंट’ में इन सभी के जीवन के बारे में…
नवीन जोशी
वरिष्ठ पत्रकार पूर्व संपादक (हिंदुस्तान)
मध्य वर्गीय समाज के मर्म को बयां करती ‘टर्निंग पॉइंट’ सामजिक सरोकारों और आम आदमी की जिंदगी से जुड़े मसले लघु कहानियों की पुस्तक 'टर्निंग पॉइंट' में एक और शानदार पहल है। मध्यम और निम्न मध्यमवर्ग के जिन किरदारों को इस पुस्तक में जीवंत किया है वह तमाम मध्यमवर्गीय लोगों को अपने ही जीवन, संघर्षो, सपनों , सफलताओं और असफलताओं की कहानी लगेंगे। 'किताब का शीर्षक अपने आप में ही मध्य वर्गीय समाज के मर्म को बयां करता है। हर किसी को उसी ' टर्निंग पॉइंट' का ही तो इंतजार है..जो तरक्की के, शोहरत के और खुशियों के तमाम ख्वाब सच कर दे।
प्रांशु मिश्र
ब्यूरो चीफ (उत्तर प्रदेश) CNN -News 18
“There is so much happening around us at every moment but very often we fail to notice it because we are too engrossed in our small universe. With a keen eye for detail, Sanjay Johri has come up with evocative storytelling that reveals bits of the whole big picture, that is life. There are characters from real life, facing travails, hope, and challenges. The book also shows his sensitivity as a journalist and academician to be his forte. It is the latest addition to his ever-growing list of achievements. This will prove to be a real “Turning Point” in his pursuit for excellence".
Ratan Mani Lal
Independent Journalist (Former Group Editor Bhaskar)

Turning Point by Dr. Sanjay Mohan Johri