विमोचन- “कोरोना भैया मेरे सपने में”-( July 9, 2022)
महामारी का दौर – पहली, दूसरी, और फिर तीसरी लहर ( अल्फा बीटा, ओमिक्रोन) – ऑफलाइन से ऑनलाइन , फिर काम पर वापसी और बीच में एक बार फिर ऑनलाइन ! एक लम्बे दौर के लिए हम सब घरों में कैद रहे और आज इस दौर से जूझते विश्व स्तर पर हम तीन वर्षों में अपनी जीवन शैली में बहुत कुछ परिवर्तन ले आये हैं !
पैंट कमीज और टाई से नीचे नेकर- बर्मुडा और कैमरा ऑन होने पर ऊपर से आवश्कतानुसार कमीज! काम शुरू होने का समय तय लेकिन ख़तम होना – कम कहे को ज्यादा समझिये!
सब तरफ बंद , एम्बुलेंस की सांय-सांय और एक खौफ कि कल हम भी कहीं ‘जमा’ न कर दिए जाएं! कभी थाली बजाई , दिया भी जलाया लेकिन एक अजीब सन्नाटें में !
कभी-कभी विषम परिस्थिति आपके अंदर के सुप्त पड़े मन में कुछ सृजनात्मक विचार ले आती है और मैंने त्रासदी की इस विभीषका को व्यंग्य में बदलने की एक कोशिश मात्र की ! मूल रूप से पत्रकार होने के नाते मन में बहुत कुछ चल रहा था पर शायद हर बात को लिख नहीं सकता था !
कोरोना ‘खलनायक’ लग कर भी ‘नायक’ लग रहा था क्योंकि यह ‘वायरस’ सबको मात दे रहा था ! पूरे विश्व भ्रमण पर था ! सब कुछ देख रहा था ! मैंने सोचा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जब यह सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को तहस नहस किये हुए है तो क्यों न संवाद के माध्यम से एक दूसरे के मन की बात कर ली जाय! थोड़ी गुफ्तगू भी हो जाएगी और मन की भड़ास भी बाहर आ जाय जो शायद सामान्य रूप से एक पत्रकार न कर पाता !
शुरुआत ‘ब्लॉग’ से करी और फिर यह सिलसिला हर सप्ताह चल पड़ा ! दोस्तों ने सलाह दी क्यों न मैं इसको किताब का रूप दे दूँ
मैंने व्यग्य कभी नहीं लिखा था और मुझे नहीं पता मैं इसमें सफल हो पाया लेकिन लिखता रहा! आज राजमंगल प्रकाशन के माध्यम से “कोरोना भैया मेरे सपने में”- पुस्तक पाठकों के लिए उपलब्ध हो गयी है!
गर्व की बात है कि पत्रकारिता के हस्ताक्षर और दिग्गज श्री नवीन जोशी, श्री रतन मणि लाल और श्री अतुल चंद्रा ने पत्रकारिता में व्यंग्य की शैली पर मेरे द्वारा रचित पुस्तक पर विमोचन करते हुए शाबाशी दें डाली! समझ लीजिये प्रयास सफल रहा!
ह्रदय से आभार!
इस रचना में कुछ लोगों का विशेष सहयोग अनुकरणीय है जैसे चित्रकार श्री प्रदीप ब्याहूत जिन्होंने इसके चित्र बनाये! पुस्तक का कवर बनाने में मोहित शर्मा और शिरीष शर्मा ! संकलन श्री राजीव शर्मा का और आभार राजमंगल प्रकाशन का जिन्होंने आप तक इस पुस्तक को पहुँचाया!
कार्यक्रम के संचालन के लिए मेरी सहयोगी नमिता पाठक और आयोजित करने में सौमन भट्टाचार्य!
विशेष आभार जयपुरिआ प्रबंध संसथान की निदेशिका डॉ कविता पाठक का इस कार्यक्रम को सभागार में आयोजित करने के लिए!
यह पूर्ण रूप से स्वान्तः सुखाय कार्य है और पुस्तक लिखना उम्र के इस दौर में अब एक जूनून
सा लग रहा है ! अगली भी लगभग तैयार है!
“कोरोना भैया मेरे सपने में”- पढियेगा जरूर! आप यह पुस्तक ऑनलाइन मंगा सकते हैं